- Date : 07/06/2019
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- Read in English: How is taxable income calculated?
टैक्स जमा करने के समय दिमाग में उत्पन्न होने वाले अनेक प्रश्नों में में से एक होता है, 'मेरी कर योग्य आय कितनी है’?

टैक्स जमा करने के समय दिमाग में उत्पन्न होने वाले अनेक प्रश्नों में में से एक होता है, 'मेरी कर योग्य आय कितनी है’? इसका सबसे अच्छा जवाब एक दूसरे प्रश्न से हो सकता है कि ‘मेरी आय का कितना हिस्सा कर योग्य नहीं है’?
यह सबसे अच्छा जवाब इसलिए है क्योंकि भारत में सभी प्रकार की आय कर योग्य है, जब तक की उस आय को विशेष प्रयोजन के तहत कर योग्य आय की गणना से अलग न रखा गया हो|
हालांकि अधिकांश आय कर योग्य होती है और उसे टैक्स रिटर्न में दर्ज करना अनिवार्य है| वहीँ यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि कुछ प्रकार की आय का एक निश्चित हिस्सा ही कर योग्य होता हैं| जबकि कुछ प्रकार की आय पूरी तरह से कर मुक्त होती है|
यह लेख आपको कर योग्य आय की गणना करने में सहायता करेगा| इसके अलावा कर देने वालों के लिए लागू होने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स स्लैब को भी समझाएगा-
अपनी कर योग्य आय का पता करने से पहले आपको अपनी कुल आय ज्ञात होनी चाहिए|
सर्वप्रथम आप अपनी विभिन्न मदों से होने वाली आय को जोड़ ले :
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आप बेंगलुरु में मासिक वेतन प्राप्त करने वाले एक बैंक कर्मचारी हैं| आपके पास एक आवासीय संपत्ति है जहां से आपको किराया के रूप में भी आय प्राप्त होती है| आप अपनी अन्य संपत्ति को बेचकर भी आय अर्जित करते है जो पूंजी के लाभ से आपकी आमदनी मानी जाएगी| इस प्रकार आपकी सारी आमदनी में आपका वेतन, किराये से हुई आय और पूंजीगत लाभ तीनों शामिल होंगे|
इसके बाद अपनी पूरी आमदनी से कर-मुक्त आय को घटाइए| उदाहरण के लिए, यदि एक वर्ष से अधिक समय तक आपको इक्विटी शेयरों से लाभ होता है तो आपको अपने कर योग्य और गैर कर योग्य घटकों के लिए अपना वेतन देखना चाहिए|
आपके वेतन में यहाँ दिये गए घटक शामिल हैं:
- मूल वेतन
- बोनस और कमीशन
- भत्ते (यह पूर्णरूप से या फिर आंशिक रूप से कर योग्य होने के साथ ही पूरी तरह से कर मुक्त भी हो सकते है|)
- पूर्णरूप से कर योग्य भत्तों में महंगाई भत्ता (डिअरनेस अलाउंस), ओवरटाइम अलाउंस (ओए) और शहरी भत्ता (जो मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों में नौकरी करने वालों को मिलता हैं) शामिल हैं|
- आंशिक रूप से कर योग्य भत्तों में हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए), मनोरंजन भत्ता और अन्य विशेष भत्ता शामिल है|
- पूर्णरूप से करमुक्त भत्तों में विदेशी भत्ता (अन्य देशों में तैनात कर्मचारियों के लिए), उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों आदि का भत्ता शामिल होता है|
यह वेतन के बनावट का एक नमूना है:
कर योग्य वार्षिक वेतन | वेतन आय | कर छूट | कर योग्य आय |
---|---|---|---|
मूल वेतन | 800000 | 0 | 800000 |
एचआरए | 300000 | 172000 | 128000 |
परिवहन भत्ता | 96000 | 19200वार्षिक | 76800 |
विशेष भत्ता | 60000 | 0 | 60000 |
अवकाश यात्रा भत्ता | 20000 | 12000 | 8000 |
मेडिकल बिल | 15000 | 15000 | 0 |
कुल योग | 1291000 | 218200 | 1072800 |
एचआरए की गणना नीचे लिखे तीन तरीकों से की जाती है
- वास्तविक एचआरए
- मूल वेतन का 40%
- वास्तविक किराया से मूल वेतन का 10% का भुगतान किया गया
इस मामले में-
- वास्तविक एचआरए 3 लाख रुपये
- मूल वेतन का 40% - 3.2 लाख रुपये
- वास्तविक किराया 21,000 रुपये प्रति माह है जो 2.52 लाख रुपये का वार्षिक है| 2.52 लाख का 10% घटाया जाता है तो 1.72 लाख रुपये बचते हैं जो सबसे कम राशि है, इसलिए यह कर छूट के लिए उपयोग किया जाता है|
आयकर अधिनियम जैसे 80 सी, 80 डी, 80 टीटीए, 80 सीसीसी आदि के कई अनुभागों के तहत आप अपना जो पैसा कई कर बचत विकल्पों में लगाते हैं उन्हें घटा लें| इन कर-बचत के नियमों के तहत आप 1.5 लाख रुपये इन्वेस्टमेंट में लगा सकते हैं जैसे की लाइफ इंश्योरेंस प्लान, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड्स (पीपीएफ), नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस), रिटायरमेंट म्युचुअल फंड, इक्विटी व यूएलआईपी|
धारा 80 डी आपको मेडिकल बीमा प्रीमियम पर 25,000 रुपये तक का कटौती करने का दावा करने की अनुमति देता है जो आपने अपने लिए, अपने पत्नी के लिए और अपने बच्चों के लिए किये हैं| इसमें 5,000 रुपये की कर छूट शामिल है जिसका लाभ आप स्वास्थ्य जांच के द्वारा ले सकते हैं|
धारा 80 टीटीए के तहत आप बचत खाता में जमा राशि से प्राप्त ब्याज पर 10,000 रुपये की छूट का दावा कर सकते हैं| यह नियम केवल व्यक्तिगत करदाताओं और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए लागू होता है|
एक साधारण सूत्र जो आपको सुनिश्चित परिणाम देता है|
कर योग्य आय = कुल आय - (कटौती + छूट)
अब आप वर्तमान में लागू कर दरों का उपयोग करते हुए भारतीय आईटी कानूनों के तहत कर योग्य आय की गणना कर सकते हैं|
एक उदाहरण का उपयोग करके आइये देखे की कर योग्य आय की गणना कैसे करनी है:
मनीष एक सॉफ्टवेयर कर्मचारी है वह 9.5 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाता हैं|
साल के दौरान बचत खाते से उसकी आय 10,000 रुपये है उसने एक एफडी यानि फिक्स डिपाजिट लिया है, जिससे मनीष को 12,000 रुपये की वार्षिक (ब्याज) आय की प्राप्ति होती है| उसने सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में 50,000 रुपये और कर-बचत म्यूचुअल फंडों में भी 20,000 रुपये का निवेश किया है|
पिछले वर्ष मनीष ने एक जीवन बीमा पॉलिसी के लिए 80,000 रुपये का भुगतान किया और चिकित्सा बीमा के लिए 10,000 रुपये का भुगतान किया|
ऊपर दिए गए आकड़ों के अनुसार मनीष की कुल आयकर की गणना है:
आय का स्वरुप | राशि |
---|---|
वेतन | 950000 |
अन्य स्त्रोत | 22000 (बचत खाता + एफडी) |
कुल आमदनी | 972000/td> |
कटौती | राशि |
---|---|
80सी | 150000(पीपीएफ + ईएलएसएस फंड + एलआईसी पॉलिसी) |
80डी | 10000(चिकित्सा बीमा) |
80टीटीए | 10000(बचत खाता) |
80टीटीए | 10000(बचत खाता) |
कुल कर योग्य आय = कुल आय - कटौती
अतः मनीष की कुल कर योग्य आय = रु 972000-170000 = रु 802000
अंत में मनीष की आयकर गणना है:
250000 से ऊपर | टैक्स में छूट |
---|---|
250000 से 500000 रुपये | 5% (2.5 लाख का 5%) |
500000 से 1000000 रुपये | 20% (8.02 लाख ऋण 5 लाख का 20%) |
रु 10,00,000 से अधिक | 30% |
उपकर | कुल कर का 3% |
कुल आयकर | 12500+60400+218=75087 |
यहाँ, मनीष 75,087 रुपये का आयकर चुकाता है|
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य:
मनीष एक वेतनभोगी व्यक्ति है, लेकिन यदि वह एक पेशेवर या व्यापारी होता तो उसे अपने करों की एक अलग तरीके से गणना करनी होगी| उदाहरण के तौर पर पेशेवर अपने काम के लिए खर्च किए गए खर्चों को घटा सकते हैं जैसे की कार का खर्च| इसे कर योग्य आय से घटाया जा सकता है| व्यवसाय मालिकों को एक योग्य चार्टेड अकाउंटेंट से अपने टैक्स की गणना करवानी चाहिए| इसके बाद ही उन्हें अपना आयकर रिटर्न दाखिल करना चाहिए|
ऊपर दी गयी जानकारी के आधार पर आपको यह समझने में सहायता मिलेगी कि आपकी आमदनी पर कैसे कर लगाया जाता है, जिसके द्वारा एक सही योजना के साथ आप कर योग्य आय को बचा सकते हैं|
टैक्स जमा करने के समय दिमाग में उत्पन्न होने वाले अनेक प्रश्नों में में से एक होता है, 'मेरी कर योग्य आय कितनी है’? इसका सबसे अच्छा जवाब एक दूसरे प्रश्न से हो सकता है कि ‘मेरी आय का कितना हिस्सा कर योग्य नहीं है’?
यह सबसे अच्छा जवाब इसलिए है क्योंकि भारत में सभी प्रकार की आय कर योग्य है, जब तक की उस आय को विशेष प्रयोजन के तहत कर योग्य आय की गणना से अलग न रखा गया हो|
हालांकि अधिकांश आय कर योग्य होती है और उसे टैक्स रिटर्न में दर्ज करना अनिवार्य है| वहीँ यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि कुछ प्रकार की आय का एक निश्चित हिस्सा ही कर योग्य होता हैं| जबकि कुछ प्रकार की आय पूरी तरह से कर मुक्त होती है|
यह लेख आपको कर योग्य आय की गणना करने में सहायता करेगा| इसके अलावा कर देने वालों के लिए लागू होने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स स्लैब को भी समझाएगा-
अपनी कर योग्य आय का पता करने से पहले आपको अपनी कुल आय ज्ञात होनी चाहिए|
सर्वप्रथम आप अपनी विभिन्न मदों से होने वाली आय को जोड़ ले :
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि आप बेंगलुरु में मासिक वेतन प्राप्त करने वाले एक बैंक कर्मचारी हैं| आपके पास एक आवासीय संपत्ति है जहां से आपको किराया के रूप में भी आय प्राप्त होती है| आप अपनी अन्य संपत्ति को बेचकर भी आय अर्जित करते है जो पूंजी के लाभ से आपकी आमदनी मानी जाएगी| इस प्रकार आपकी सारी आमदनी में आपका वेतन, किराये से हुई आय और पूंजीगत लाभ तीनों शामिल होंगे|
इसके बाद अपनी पूरी आमदनी से कर-मुक्त आय को घटाइए| उदाहरण के लिए, यदि एक वर्ष से अधिक समय तक आपको इक्विटी शेयरों से लाभ होता है तो आपको अपने कर योग्य और गैर कर योग्य घटकों के लिए अपना वेतन देखना चाहिए|
आपके वेतन में यहाँ दिये गए घटक शामिल हैं:
- मूल वेतन
- बोनस और कमीशन
- भत्ते (यह पूर्णरूप से या फिर आंशिक रूप से कर योग्य होने के साथ ही पूरी तरह से कर मुक्त भी हो सकते है|)
- पूर्णरूप से कर योग्य भत्तों में महंगाई भत्ता (डिअरनेस अलाउंस), ओवरटाइम अलाउंस (ओए) और शहरी भत्ता (जो मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों में नौकरी करने वालों को मिलता हैं) शामिल हैं|
- आंशिक रूप से कर योग्य भत्तों में हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए), मनोरंजन भत्ता और अन्य विशेष भत्ता शामिल है|
- पूर्णरूप से करमुक्त भत्तों में विदेशी भत्ता (अन्य देशों में तैनात कर्मचारियों के लिए), उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों आदि का भत्ता शामिल होता है|
यह वेतन के बनावट का एक नमूना है:
कर योग्य वार्षिक वेतन | वेतन आय | कर छूट | कर योग्य आय |
---|---|---|---|
मूल वेतन | 800000 | 0 | 800000 |
एचआरए | 300000 | 172000 | 128000 |
परिवहन भत्ता | 96000 | 19200वार्षिक | 76800 |
विशेष भत्ता | 60000 | 0 | 60000 |
अवकाश यात्रा भत्ता | 20000 | 12000 | 8000 |
मेडिकल बिल | 15000 | 15000 | 0 |
कुल योग | 1291000 | 218200 | 1072800 |
एचआरए की गणना नीचे लिखे तीन तरीकों से की जाती है
- वास्तविक एचआरए
- मूल वेतन का 40%
- वास्तविक किराया से मूल वेतन का 10% का भुगतान किया गया
इस मामले में-
- वास्तविक एचआरए 3 लाख रुपये
- मूल वेतन का 40% - 3.2 लाख रुपये
- वास्तविक किराया 21,000 रुपये प्रति माह है जो 2.52 लाख रुपये का वार्षिक है| 2.52 लाख का 10% घटाया जाता है तो 1.72 लाख रुपये बचते हैं जो सबसे कम राशि है, इसलिए यह कर छूट के लिए उपयोग किया जाता है|
आयकर अधिनियम जैसे 80 सी, 80 डी, 80 टीटीए, 80 सीसीसी आदि के कई अनुभागों के तहत आप अपना जो पैसा कई कर बचत विकल्पों में लगाते हैं उन्हें घटा लें| इन कर-बचत के नियमों के तहत आप 1.5 लाख रुपये इन्वेस्टमेंट में लगा सकते हैं जैसे की लाइफ इंश्योरेंस प्लान, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड्स (पीपीएफ), नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस), रिटायरमेंट म्युचुअल फंड, इक्विटी व यूएलआईपी|
धारा 80 डी आपको मेडिकल बीमा प्रीमियम पर 25,000 रुपये तक का कटौती करने का दावा करने की अनुमति देता है जो आपने अपने लिए, अपने पत्नी के लिए और अपने बच्चों के लिए किये हैं| इसमें 5,000 रुपये की कर छूट शामिल है जिसका लाभ आप स्वास्थ्य जांच के द्वारा ले सकते हैं|
धारा 80 टीटीए के तहत आप बचत खाता में जमा राशि से प्राप्त ब्याज पर 10,000 रुपये की छूट का दावा कर सकते हैं| यह नियम केवल व्यक्तिगत करदाताओं और हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए लागू होता है|
एक साधारण सूत्र जो आपको सुनिश्चित परिणाम देता है|
कर योग्य आय = कुल आय - (कटौती + छूट)
अब आप वर्तमान में लागू कर दरों का उपयोग करते हुए भारतीय आईटी कानूनों के तहत कर योग्य आय की गणना कर सकते हैं|
एक उदाहरण का उपयोग करके आइये देखे की कर योग्य आय की गणना कैसे करनी है:
मनीष एक सॉफ्टवेयर कर्मचारी है वह 9.5 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाता हैं|
साल के दौरान बचत खाते से उसकी आय 10,000 रुपये है उसने एक एफडी यानि फिक्स डिपाजिट लिया है, जिससे मनीष को 12,000 रुपये की वार्षिक (ब्याज) आय की प्राप्ति होती है| उसने सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में 50,000 रुपये और कर-बचत म्यूचुअल फंडों में भी 20,000 रुपये का निवेश किया है|
पिछले वर्ष मनीष ने एक जीवन बीमा पॉलिसी के लिए 80,000 रुपये का भुगतान किया और चिकित्सा बीमा के लिए 10,000 रुपये का भुगतान किया|
ऊपर दिए गए आकड़ों के अनुसार मनीष की कुल आयकर की गणना है:
आय का स्वरुप | राशि |
---|---|
वेतन | 950000 |
अन्य स्त्रोत | 22000 (बचत खाता + एफडी) |
कुल आमदनी | 972000/td> |
कटौती | राशि |
---|---|
80सी | 150000(पीपीएफ + ईएलएसएस फंड + एलआईसी पॉलिसी) |
80डी | 10000(चिकित्सा बीमा) |
80टीटीए | 10000(बचत खाता) |
80टीटीए | 10000(बचत खाता) |
कुल कर योग्य आय = कुल आय - कटौती
अतः मनीष की कुल कर योग्य आय = रु 972000-170000 = रु 802000
अंत में मनीष की आयकर गणना है:
250000 से ऊपर | टैक्स में छूट |
---|---|
250000 से 500000 रुपये | 5% (2.5 लाख का 5%) |
500000 से 1000000 रुपये | 20% (8.02 लाख ऋण 5 लाख का 20%) |
रु 10,00,000 से अधिक | 30% |
उपकर | कुल कर का 3% |
कुल आयकर | 12500+60400+218=75087 |
यहाँ, मनीष 75,087 रुपये का आयकर चुकाता है|
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य:
मनीष एक वेतनभोगी व्यक्ति है, लेकिन यदि वह एक पेशेवर या व्यापारी होता तो उसे अपने करों की एक अलग तरीके से गणना करनी होगी| उदाहरण के तौर पर पेशेवर अपने काम के लिए खर्च किए गए खर्चों को घटा सकते हैं जैसे की कार का खर्च| इसे कर योग्य आय से घटाया जा सकता है| व्यवसाय मालिकों को एक योग्य चार्टेड अकाउंटेंट से अपने टैक्स की गणना करवानी चाहिए| इसके बाद ही उन्हें अपना आयकर रिटर्न दाखिल करना चाहिए|
ऊपर दी गयी जानकारी के आधार पर आपको यह समझने में सहायता मिलेगी कि आपकी आमदनी पर कैसे कर लगाया जाता है, जिसके द्वारा एक सही योजना के साथ आप कर योग्य आय को बचा सकते हैं|