केंद्रीय बजट 2021 और भारतीय टैक्सपेयर के लिए इसके क्या मायने हैं

महामारी के बाद आया पहला बजट, टैक्स असेसमेंट और जीएसटी रेजीम में सुधार को ध्यान में रखकर किया गया है. ऐसा करते समय इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

केंद्रीय बजट 2021 और भारतीय टैक्सपेयर के लिए इसके क्या मायने हैं

केंद्रीय बजट 2021 पर भी कोविड-19 महामारी का गहरा प्रभाव दिखा. टैक्सपेयर्स टैक्स में राहत की उम्मीद कर रहे थे लेकिन कोविड सेस लगने का डर भी था. सदी में एक बार होने वाले इस संकट से उबरने के लिए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक शानदार बजट पेश किया. 

हालाँकि, आम टैक्सपेयर के लिए यह मायने रखता है कि बजट का उसकी टैक्स लायबिलिटी पर कैसा असर पड़ता है. यहाँ कुछ ख़ास बातें बताई जा रही हैं:

इनकम टैक्स से जुड़े बदलाव

इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं किया गया है. इसका मतलब यह है कि स्टैंडर्ड कटौती की सीमा या 80सी में कोई बदलाव नहीं होगा, और न ही टैक्सपेयर पर कोई कोविड सेस लगाया जाएगा.

हालांकि, 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के पास केवल पेंशन और ब्याज से होने वाली आय है, तो अब उन्हें आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है.

एनआरआई भारतीयों को डबल टैक्सेशन से बचाने के लिए, बजट में नए नियमों को प्रस्तावित किया जा रहा है.

टैक्स ऑडिट कंप्लायंस में ढील दी गई है, जिसमें छूट की सीमा 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये की गई है. यह उन कंपनियों पर लागू होता है जो अपने लेनदेन का 95% डिजिटल मोड के माध्यम से करती हैं.

बजट में किफायती आवास पर टैक्स हॉलिडे को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है, जो अब 31 मार्च 2022 को समाप्त होगा. माइग्रेंट वर्कर्स को नोटीफाएड हाउसिंग पर टैक्स में छूट भी दी जाएगी.

टीडीएस दरों में कोई बदलाव नहीं हैं. हालांकि, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश फंडों को मिलने वाले डिविडेंड को टीडीएस से छूट दी गई है.

सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ के रूप में, ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने के लिए मजदूरी की परिभाषा में बदलाव किया जाएगा. इसके अनुसार, ग्रेच्युटी पर अधिकतम छूट सीमा को भी 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये किया जा सकता है.

बजट, डिफ़ॉल्ट करने वाले एम्प्लोयर को टारगेट करके पीएफ जमा होने में देरी को कम करने की कोशिश कर रहा है. एम्प्लोयर द्वारा कर्मचारियों के पीएफ में किए योगदान को देर से जमा करने से एम्प्लोयर को कटौती मिलने की संभावना घट सकती है. 

किसी भी बड़े बदलाव की कमी के बावजूद, टैक्सपेयर को पेट्रोल पर 2.5 रुपये और डीजल पर 4 रु का एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस अखर सकता है. वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया कि इसका असर कंज्यूमर पर नहीं पड़ेगा क्योंकि जोड़े गए सेस के साथ ही लगने वाली ड्यूटी घटा दी गई हैं. यह सेस कई अन्य सामानों में भी जोड़ा गया है.  

टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन

टैक्स फाइलिंग को आसान बनाने के सरकार के प्रयास को जारी रखते हुए, टैक्स फॉर्म में अब प्री-फिल पूंजीगत लाभ, लाभांश आय और ब्याज आय विवरण होंगे. इसके अलावा, छोटे टैक्सपेयर के लिए विवाद समाधान समिति का गठन किया जाएगा.

गंभीर टैक्स अपराधों के मामलों को 10 साल बाद भी खोला जा सकता है, लेकिन केवल प्रधान मुख्य आयुक्त की मंजूरी के साथ. इसमें केवल 50 लाख रुपये से अधिक की आय वाले मामले शामिल होंगे. हालांकि, आयकर आकलन मामलों को फिर से खोलने की समय सीमा 6 से घटाकर 3 साल कर दी गई है.

इससे जुड़ी जानकारी: क्या आपको पुराने टैक्स स्लैब को इस्तेमाल करना चाहिए या नए वाले को

इनडायरेक्ट टैक्स

इनडायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष करों) में परिवर्तन से घरों पर असर पड़ता है इस बजट में सीमा शुल्क को कपास के लिए 10% और रेशम के लिए 15% तक बढ़ाया गया है. अगले वित्तीय वर्ष के लिए, नेफ्था के लिए ड्यूटी घटाकर 2.5%, सोलर लालटेन के लिए 5% कर दी गई है, साथ ही, स्टील स्क्रैप को ड्यूटी से बाहर रखा गया है. 

सोने और चांदी की कस्टम्स ड्यूटी में भी प्रस्ताव किया गया है, बेसिक कस्टम्स ड्यूटी में 12.5% से 7.5% तक का बदलाव संभव है.

वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि जीएसटी रेजीम की कमियों विसंगतियों को दूर किया जाएगा. जीएसटी में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को कम किया जाएगा, जबकि इनडायरेक्ट टैक्स में 400 से ज़्यादा पुराने एक्सेम्प्शन को जांच के दायरे में रखा जाएगा.

इससे जुड़ी जानकारी: डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स के बीच का अंतर समझना

छोटे व्यवसाय

छोटे व्यवसायों में लगे टैक्सपेयर के लिए एक शानदार खबर है, अब 'छोटे व्यवसाय' की परिभाषा भी बदल दी गई है. छोटी कंपनियों के लिए पेड-अप शेयर कैपिटल की सीमा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दी गई है, जबकि टर्नओवर थ्रेशोल्ड भी 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है. 

वित्त मंत्री ने प्रस्ताव दिया कि एक व्यक्ति वाली कंपनी को अब बिना किसी पेड-अप कैपिटल या टर्नओवर लिमिट के शामिल किया जा सकता है. निवेश पर कैपिटल गेन सहित स्टार्टअप्स के लिए टैक्स हॉलिडे को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है.

ख़ास तौर पर, पिछले सात वर्षों में इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग लगभग दोगुनी हो गई है, 2014 में 3.31 करोड़ से बढ़कर 2020 में 6.48 करोड़. बजट पेश किए जाने के बाद, शेयर बाजार ने शुरुआती बढ़त दिखाई. हालांकि, ड्यूटी घटने से कीमती धातुओं (प्रेशियस मेटल्स) पर असर पड़ सकता है. साथ ही, विस्तार से पढ़ें -  छोटे व्यवसाय: टैक्सेशन 101.

केंद्रीय बजट 2021 पर भी कोविड-19 महामारी का गहरा प्रभाव दिखा. टैक्सपेयर्स टैक्स में राहत की उम्मीद कर रहे थे लेकिन कोविड सेस लगने का डर भी था. सदी में एक बार होने वाले इस संकट से उबरने के लिए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक शानदार बजट पेश किया. 

हालाँकि, आम टैक्सपेयर के लिए यह मायने रखता है कि बजट का उसकी टैक्स लायबिलिटी पर कैसा असर पड़ता है. यहाँ कुछ ख़ास बातें बताई जा रही हैं:

इनकम टैक्स से जुड़े बदलाव

इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं किया गया है. इसका मतलब यह है कि स्टैंडर्ड कटौती की सीमा या 80सी में कोई बदलाव नहीं होगा, और न ही टैक्सपेयर पर कोई कोविड सेस लगाया जाएगा.

हालांकि, 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के पास केवल पेंशन और ब्याज से होने वाली आय है, तो अब उन्हें आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है.

एनआरआई भारतीयों को डबल टैक्सेशन से बचाने के लिए, बजट में नए नियमों को प्रस्तावित किया जा रहा है.

टैक्स ऑडिट कंप्लायंस में ढील दी गई है, जिसमें छूट की सीमा 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये की गई है. यह उन कंपनियों पर लागू होता है जो अपने लेनदेन का 95% डिजिटल मोड के माध्यम से करती हैं.

बजट में किफायती आवास पर टैक्स हॉलिडे को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है, जो अब 31 मार्च 2022 को समाप्त होगा. माइग्रेंट वर्कर्स को नोटीफाएड हाउसिंग पर टैक्स में छूट भी दी जाएगी.

टीडीएस दरों में कोई बदलाव नहीं हैं. हालांकि, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश फंडों को मिलने वाले डिविडेंड को टीडीएस से छूट दी गई है.

सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ के रूप में, ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने के लिए मजदूरी की परिभाषा में बदलाव किया जाएगा. इसके अनुसार, ग्रेच्युटी पर अधिकतम छूट सीमा को भी 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये किया जा सकता है.

बजट, डिफ़ॉल्ट करने वाले एम्प्लोयर को टारगेट करके पीएफ जमा होने में देरी को कम करने की कोशिश कर रहा है. एम्प्लोयर द्वारा कर्मचारियों के पीएफ में किए योगदान को देर से जमा करने से एम्प्लोयर को कटौती मिलने की संभावना घट सकती है. 

किसी भी बड़े बदलाव की कमी के बावजूद, टैक्सपेयर को पेट्रोल पर 2.5 रुपये और डीजल पर 4 रु का एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस अखर सकता है. वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया कि इसका असर कंज्यूमर पर नहीं पड़ेगा क्योंकि जोड़े गए सेस के साथ ही लगने वाली ड्यूटी घटा दी गई हैं. यह सेस कई अन्य सामानों में भी जोड़ा गया है.  

टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन

टैक्स फाइलिंग को आसान बनाने के सरकार के प्रयास को जारी रखते हुए, टैक्स फॉर्म में अब प्री-फिल पूंजीगत लाभ, लाभांश आय और ब्याज आय विवरण होंगे. इसके अलावा, छोटे टैक्सपेयर के लिए विवाद समाधान समिति का गठन किया जाएगा.

गंभीर टैक्स अपराधों के मामलों को 10 साल बाद भी खोला जा सकता है, लेकिन केवल प्रधान मुख्य आयुक्त की मंजूरी के साथ. इसमें केवल 50 लाख रुपये से अधिक की आय वाले मामले शामिल होंगे. हालांकि, आयकर आकलन मामलों को फिर से खोलने की समय सीमा 6 से घटाकर 3 साल कर दी गई है.

इससे जुड़ी जानकारी: क्या आपको पुराने टैक्स स्लैब को इस्तेमाल करना चाहिए या नए वाले को

इनडायरेक्ट टैक्स

इनडायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष करों) में परिवर्तन से घरों पर असर पड़ता है इस बजट में सीमा शुल्क को कपास के लिए 10% और रेशम के लिए 15% तक बढ़ाया गया है. अगले वित्तीय वर्ष के लिए, नेफ्था के लिए ड्यूटी घटाकर 2.5%, सोलर लालटेन के लिए 5% कर दी गई है, साथ ही, स्टील स्क्रैप को ड्यूटी से बाहर रखा गया है. 

सोने और चांदी की कस्टम्स ड्यूटी में भी प्रस्ताव किया गया है, बेसिक कस्टम्स ड्यूटी में 12.5% से 7.5% तक का बदलाव संभव है.

वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि जीएसटी रेजीम की कमियों विसंगतियों को दूर किया जाएगा. जीएसटी में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को कम किया जाएगा, जबकि इनडायरेक्ट टैक्स में 400 से ज़्यादा पुराने एक्सेम्प्शन को जांच के दायरे में रखा जाएगा.

इससे जुड़ी जानकारी: डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स के बीच का अंतर समझना

छोटे व्यवसाय

छोटे व्यवसायों में लगे टैक्सपेयर के लिए एक शानदार खबर है, अब 'छोटे व्यवसाय' की परिभाषा भी बदल दी गई है. छोटी कंपनियों के लिए पेड-अप शेयर कैपिटल की सीमा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दी गई है, जबकि टर्नओवर थ्रेशोल्ड भी 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है. 

वित्त मंत्री ने प्रस्ताव दिया कि एक व्यक्ति वाली कंपनी को अब बिना किसी पेड-अप कैपिटल या टर्नओवर लिमिट के शामिल किया जा सकता है. निवेश पर कैपिटल गेन सहित स्टार्टअप्स के लिए टैक्स हॉलिडे को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है.

ख़ास तौर पर, पिछले सात वर्षों में इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग लगभग दोगुनी हो गई है, 2014 में 3.31 करोड़ से बढ़कर 2020 में 6.48 करोड़. बजट पेश किए जाने के बाद, शेयर बाजार ने शुरुआती बढ़त दिखाई. हालांकि, ड्यूटी घटने से कीमती धातुओं (प्रेशियस मेटल्स) पर असर पड़ सकता है. साथ ही, विस्तार से पढ़ें -  छोटे व्यवसाय: टैक्सेशन 101.

संवादपत्र

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