करदाताओं को हर म्यूच्यूअल फंड,स्टॉक की बिक्री का विवरण साझा करना अनिवार्य हो गया है |

आई.टी.आर. फाइल करते वक़्त, एक नए आदेश में शेड्यूल 112अ को फाइल करना अनिवार्य कर दिया गया है जिसमे हर सूचीबद्ध इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूच्यूअल फंड की बिक्री या रिडेम्पशन की जानकारी की सूचि होती है |

करदाताओं को हर म्यूच्यूअल फंड,स्टॉक की बिक्री का विवरण साझा करना अनिवार्य हो गया है |

एक नए आदेश ने करदाताओं के लिए म्यूच्यूअल फंड और शेयरों की हर बिक्री एवं रिडेम्पशन की जानकारी साझा करने को अनिवार्य कर दिया है | इसका मतलब है कि जब मूल्यांकन वर्ष 2020-21 के दौरान आयकर रिटर्न फाइल करते वक़्त जब पूंजीगत लाभों या नुकसानों को रिपोर्ट किया जाता है,तो लोगों को हर बिक्री के ट्रांसैक्शन का विवरण साझा करना होता है |

करदाताओं को शेड्यूल 112अ फाइल करके यह करना होगा और उन्हें इक्विटी निवेश का नाम, खरीदी एवं बिक्री मूल्य, उसकी मात्रा, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूतियों की पहचान संख्या (आई.एस.आई.एन.) और उचित बाजार मूल्य (एफ.एम.वी.) जैसे जानकारियां जनवरी 2018 के अंत तक की साझा करनी होगी|

पहले की स्थिति क्या थी ?

मूल्यांकन वर्ष 2019-20 में शेड्यूल 112अ पेश किया गया था | हालांकि, उस वक़्त यह वैकल्पिक था| करदाताओं को सभी सेल्स की एकत्रित जानकारी देनी होती थी | वे हर लेनदेन का विवरण दिए बिना केवल संचयी शुद्ध पूंजी लाभ या हानि डाल सकते हैं | यह हर बिक्री के लेनदेन की जानकारी देने से बहुत आसान था - जो उन्हें अब करना होगा |

नया जनादेश क्यों पेश किया गया था ?

आयकर विभाग द्वारा नया जनादेश जारी किया गया था ताकि वे लोग जो कर बचाने के लिए उनके दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ का खुलासा नहीं करते हैं,उन्हें पकड़ा जाये| आजकल,ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर और म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर रहे हैं ,और सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वे लोग अपने लाभ पर उचित कर का भुगतान करें |

करदाताओं से हर लेनदेन के विवरण साझा करवा कर, आयकर विभाग हर जानकारी जैसे कि टी.डी.एस.,ट्रांसैक्शन स्टेटमेंट आदि की दोबारा मिलान करवा सकता है | इस प्रकार, वे त्रुटियों को जांच सकते हैं और कर चोरी करने वालों को पहचान सकते हैं |

करदाता इसके मापदंड को कैसे पूरा कर सकते हैं ?

इसमें कोई शक नहीं है कि नया जनादेश, एक लम्बी प्रक्रिया है और यह करदाताओं को थकाऊ लग सकता है | हर फंड हाउस या ब्रोकर कई प्रारूपों में बिक्री के ट्रांसैक्शन की जानकारी देता है | इसका मतलब है कि इस प्रक्रिया को स्वचालित नहीं किया जा सकता है; करदाताओं को आई.टी.आर. फाइल करते वक़्त इसके विवरण को स्वयं भरना होगा | उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विवरण बिल्कुल सही रूप से भरा गया हो क्यूंकि मानवीय भूल होने की अधिक संभावना होती है |

करदाता अपने इक्विटी बिक्री की जानकारी कहाँ से ले सकते हैं ?

करदाता अपने पूंजीगत लाभ/हानि के कर स्टेटमेंट को उनके निवेश संभालने वाले सम्बंधित फंड घर या ब्रोकरेज फर्म से ले सकते हैं| इन स्टेटमेंट में सभी विवरणों को लेनदेन के हिसाब से तोड़ कर अलग-अलग बताया जाएगा| उन्हें आई.टी.आर. फाइल करते वक़्त सन्दर्भ के लिए इन रिपोर्टों पर निर्भर रहना होगा |

पूंजीगत लाभ पर किस प्रकार कर लगाया जाता है ?

यहां पर यह ध्यान रखना आवश्यक है कि 31 जनवरी 2018 तक इक्विटी पर प्राप्त पूंजीगत लाभ में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की छूट है | 1 फरवरी 2018 से प्राप्त अतिरिक्त लाभ पर कर देनदारियों का हिसाब लगाया जाएगा | इसलिए, करदाताओं को 31 जनवरी 2018 तक अपने इक्विटी निवेश के बाजार मूल्य का खुलासा करना होगा | उसके बाद के लाभ पर 10% कर लगाया जाएगा |

एक नए आदेश ने करदाताओं के लिए म्यूच्यूअल फंड और शेयरों की हर बिक्री एवं रिडेम्पशन की जानकारी साझा करने को अनिवार्य कर दिया है | इसका मतलब है कि जब मूल्यांकन वर्ष 2020-21 के दौरान आयकर रिटर्न फाइल करते वक़्त जब पूंजीगत लाभों या नुकसानों को रिपोर्ट किया जाता है,तो लोगों को हर बिक्री के ट्रांसैक्शन का विवरण साझा करना होता है |

करदाताओं को शेड्यूल 112अ फाइल करके यह करना होगा और उन्हें इक्विटी निवेश का नाम, खरीदी एवं बिक्री मूल्य, उसकी मात्रा, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूतियों की पहचान संख्या (आई.एस.आई.एन.) और उचित बाजार मूल्य (एफ.एम.वी.) जैसे जानकारियां जनवरी 2018 के अंत तक की साझा करनी होगी|

पहले की स्थिति क्या थी ?

मूल्यांकन वर्ष 2019-20 में शेड्यूल 112अ पेश किया गया था | हालांकि, उस वक़्त यह वैकल्पिक था| करदाताओं को सभी सेल्स की एकत्रित जानकारी देनी होती थी | वे हर लेनदेन का विवरण दिए बिना केवल संचयी शुद्ध पूंजी लाभ या हानि डाल सकते हैं | यह हर बिक्री के लेनदेन की जानकारी देने से बहुत आसान था - जो उन्हें अब करना होगा |

नया जनादेश क्यों पेश किया गया था ?

आयकर विभाग द्वारा नया जनादेश जारी किया गया था ताकि वे लोग जो कर बचाने के लिए उनके दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ का खुलासा नहीं करते हैं,उन्हें पकड़ा जाये| आजकल,ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर और म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर रहे हैं ,और सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वे लोग अपने लाभ पर उचित कर का भुगतान करें |

करदाताओं से हर लेनदेन के विवरण साझा करवा कर, आयकर विभाग हर जानकारी जैसे कि टी.डी.एस.,ट्रांसैक्शन स्टेटमेंट आदि की दोबारा मिलान करवा सकता है | इस प्रकार, वे त्रुटियों को जांच सकते हैं और कर चोरी करने वालों को पहचान सकते हैं |

करदाता इसके मापदंड को कैसे पूरा कर सकते हैं ?

इसमें कोई शक नहीं है कि नया जनादेश, एक लम्बी प्रक्रिया है और यह करदाताओं को थकाऊ लग सकता है | हर फंड हाउस या ब्रोकर कई प्रारूपों में बिक्री के ट्रांसैक्शन की जानकारी देता है | इसका मतलब है कि इस प्रक्रिया को स्वचालित नहीं किया जा सकता है; करदाताओं को आई.टी.आर. फाइल करते वक़्त इसके विवरण को स्वयं भरना होगा | उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विवरण बिल्कुल सही रूप से भरा गया हो क्यूंकि मानवीय भूल होने की अधिक संभावना होती है |

करदाता अपने इक्विटी बिक्री की जानकारी कहाँ से ले सकते हैं ?

करदाता अपने पूंजीगत लाभ/हानि के कर स्टेटमेंट को उनके निवेश संभालने वाले सम्बंधित फंड घर या ब्रोकरेज फर्म से ले सकते हैं| इन स्टेटमेंट में सभी विवरणों को लेनदेन के हिसाब से तोड़ कर अलग-अलग बताया जाएगा| उन्हें आई.टी.आर. फाइल करते वक़्त सन्दर्भ के लिए इन रिपोर्टों पर निर्भर रहना होगा |

पूंजीगत लाभ पर किस प्रकार कर लगाया जाता है ?

यहां पर यह ध्यान रखना आवश्यक है कि 31 जनवरी 2018 तक इक्विटी पर प्राप्त पूंजीगत लाभ में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की छूट है | 1 फरवरी 2018 से प्राप्त अतिरिक्त लाभ पर कर देनदारियों का हिसाब लगाया जाएगा | इसलिए, करदाताओं को 31 जनवरी 2018 तक अपने इक्विटी निवेश के बाजार मूल्य का खुलासा करना होगा | उसके बाद के लाभ पर 10% कर लगाया जाएगा |

संवादपत्र

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