- Date : 27/02/2020
- Read: 4 mins
एंप्लाई स्टॉक ऑप्शन या इसॉप पर टैक्स नियमों की पूरी जानकारी|

अनंत चंद्रन एक टेक्नोलॉजी आउटसोर्सिंग कंपनी में वरिष्ठ पद पर थे। जब कंपनी का पब्लिक इश्यू आया तो वो गिने चुने लोगों में थे जिन्हें एंप्लाई स्टॉक ऑप्शन के तौर पर शेयर खरीदने का मौका दिया गया। प्लान के तहत अनंत को पहले से तय कीमत पर एक साल बाद शेयर खरीदने का मौका मिला। लेकिन एक साल बाद अनंत इस दुविधा में थे कि उन्हें शेयर लेने चाहिए या नहीं। क्योंकि भविष्य में टैक्स की देनदारी को लेकर उनके मन में अनिश्चितता थी। वो अपने मन की शंकाओं को दूर करना चाहते थे ताकि वो सही फैसला ले पाएं कि शेयरों से उनकी कुल आय और शुद्ध आय में कितने फीसदी का अंतर है। इस मामले पर अनंत ने जब अपने टैक्स सलाहकर से बात की तो उन्हें इसॉप और उस पर टैक्स से जुड़ी ये जानकारियां पता मिलीं:
इसॉप पर टैक्स के नियम
केवल इसॉप के शेयर के लिए योग्य होने से ही टैक्स देनदारी नहीं बनती। बल्कि जब कर्मचारी इसॉप के शेयर अपने खाते में लेता है या फिर उसकी बिक्री करता है तब टैक्स का मामला उठता है। आयकर की धारा 17(2) (6) और सेक्शन 49(2एए) के तहत इसॉप के तहत मिले शेयर पर दो-दो बार टैक्स लग सकता है - एक खरीद के समय और दूसरा बिक्री के समय। हालांकि इसमें कई पहलू मायने रखते हैं।
शेयरों का बिक्री भाव – शेयरों का खरीद भाव = कैपिटल गेन
कैपिटल गेन बेचे गए शेयरों के प्रकार और खाते में रखने की मियाद पर निर्भर होता है
शेयर बेचने से हुआ मुनाफा – बिक्री भाव = इसॉप को खरीदते हुए शेयरों का उचित बाजार मूल्य
आइए इन पहलुओं को देखते हैं और समझते हैं कि टैक्स कैसे लगेगा
- जब आप इसॉप के तहत शेयरों को स्वीकारते हैं
अगर आवंटन के वक्त इसॉप वाले शेयर को स्वीकारने का मूल्य उचित बाजार मूल्य से कम है तो दोनों के अंतर को कमाई माना जाएगा। और इस पर टैक्स लगेगा। इस पर लगने वाली टैक्स की दर आयकर की स्लैब के हिसाब से तय होगी।
- जब आप इसॉप में मिले शेयरों को बेचते हैं
अगर आप शेयरों को बेचकर मुनाफा कमाते हैं तो इसे कैपिटल गेन या पूंजीगत लाभ माना जाता है। ये मुनाफा बिक्री के भाव और आवंटन के समय उचित बाजार मूल्य के अंतर से निकाला जाता है।
इस पर दो तरह से पूंजीगत लाभ की गणना होती है: एक तो ये कि किस देश में कंपनी लिस्टेड है और दूसरा इस आधार पर कि शेयरों को कितने लंबे समय तक खाते में रखा गया है। अगर बिक्री की कीमत उचित बाजार मूल्य से कम है तो पूंजीगत हानि माना जाएगा। इसे अगले कर निर्धारण वर्ष के लिए आगे ले जाया जा सकता है और उस साल होने वाले मुनाफे से समायोजित किया जा सकता है।
- कंपनी भारत में लिस्टेड तो इसॉप पर टैक्स देनदारी
अगर शेयरों को 12 महीने तक खाते में रखने के बाद बेचा जाता है तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होगा। मौजूदा टैक्स नियमों के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता। हालांकि शेयरों की खरीद के 12 महीने के भीतर ही बेच दिया जाए तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और 15 फीसदी की दर सै टैक्स लगेगा।
शेयरों की बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स के प्रकार
शेयरों को 12 महीने तक रखने के बाद बिक्री करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है
अगर 12 महीने से पहले ही शेयरों की बिक्री की जाती है तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होगा
इसॉप पर टैक्स नियम: अगर कंपनी भारत के बाहर लिस्टेड है:
अगर किसी ऐसी कंपनी के शेयर इसॉप में मिले हैं जो भारत में लिस्टेड नहीं है तो आपकी टैक्स देनदारी बनेगी भले ही कितनी मियाद तक शेयर को रखा गया हो। अगर शेयर को 3 साल से ज्यादा रखा गया है तो 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा। हालांकि अगर आपने शेयर को 3 साल से कदम मियाद के लिए रखा हो आयकर ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स भरना होगा।
टैक्स के पहलुओं को समझ लेने के बाद अनंत को इसॉप के शेयरों में निवेश पर सही फैसला लेने में मदद मिली। चूंकि अनंत की कंपनी भारत में लिस्टेड थी और उन्होंने एक साल के बाद शेयर बेच दिए इसलिए उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ा। इसलिए ज़रूरी है कि इसॉप के ज़रिए जब भी कंपनी शेयर ट्रांसफर कर रही हो तो सारी जानकारी हासिल कर ली जाए। इससे ये फैसला लेने में मदद मिलती है कि कब सही समय पर शेयर बेचे जाएं ताकि इसॉप से होने वाली आय पर कम से कम टैक्स देना पड़े।
अनंत चंद्रन एक टेक्नोलॉजी आउटसोर्सिंग कंपनी में वरिष्ठ पद पर थे। जब कंपनी का पब्लिक इश्यू आया तो वो गिने चुने लोगों में थे जिन्हें एंप्लाई स्टॉक ऑप्शन के तौर पर शेयर खरीदने का मौका दिया गया। प्लान के तहत अनंत को पहले से तय कीमत पर एक साल बाद शेयर खरीदने का मौका मिला। लेकिन एक साल बाद अनंत इस दुविधा में थे कि उन्हें शेयर लेने चाहिए या नहीं। क्योंकि भविष्य में टैक्स की देनदारी को लेकर उनके मन में अनिश्चितता थी। वो अपने मन की शंकाओं को दूर करना चाहते थे ताकि वो सही फैसला ले पाएं कि शेयरों से उनकी कुल आय और शुद्ध आय में कितने फीसदी का अंतर है। इस मामले पर अनंत ने जब अपने टैक्स सलाहकर से बात की तो उन्हें इसॉप और उस पर टैक्स से जुड़ी ये जानकारियां पता मिलीं:
इसॉप पर टैक्स के नियम
केवल इसॉप के शेयर के लिए योग्य होने से ही टैक्स देनदारी नहीं बनती। बल्कि जब कर्मचारी इसॉप के शेयर अपने खाते में लेता है या फिर उसकी बिक्री करता है तब टैक्स का मामला उठता है। आयकर की धारा 17(2) (6) और सेक्शन 49(2एए) के तहत इसॉप के तहत मिले शेयर पर दो-दो बार टैक्स लग सकता है - एक खरीद के समय और दूसरा बिक्री के समय। हालांकि इसमें कई पहलू मायने रखते हैं।
शेयरों का बिक्री भाव – शेयरों का खरीद भाव = कैपिटल गेन
कैपिटल गेन बेचे गए शेयरों के प्रकार और खाते में रखने की मियाद पर निर्भर होता है
शेयर बेचने से हुआ मुनाफा – बिक्री भाव = इसॉप को खरीदते हुए शेयरों का उचित बाजार मूल्य
आइए इन पहलुओं को देखते हैं और समझते हैं कि टैक्स कैसे लगेगा
- जब आप इसॉप के तहत शेयरों को स्वीकारते हैं
अगर आवंटन के वक्त इसॉप वाले शेयर को स्वीकारने का मूल्य उचित बाजार मूल्य से कम है तो दोनों के अंतर को कमाई माना जाएगा। और इस पर टैक्स लगेगा। इस पर लगने वाली टैक्स की दर आयकर की स्लैब के हिसाब से तय होगी।
- जब आप इसॉप में मिले शेयरों को बेचते हैं
अगर आप शेयरों को बेचकर मुनाफा कमाते हैं तो इसे कैपिटल गेन या पूंजीगत लाभ माना जाता है। ये मुनाफा बिक्री के भाव और आवंटन के समय उचित बाजार मूल्य के अंतर से निकाला जाता है।
इस पर दो तरह से पूंजीगत लाभ की गणना होती है: एक तो ये कि किस देश में कंपनी लिस्टेड है और दूसरा इस आधार पर कि शेयरों को कितने लंबे समय तक खाते में रखा गया है। अगर बिक्री की कीमत उचित बाजार मूल्य से कम है तो पूंजीगत हानि माना जाएगा। इसे अगले कर निर्धारण वर्ष के लिए आगे ले जाया जा सकता है और उस साल होने वाले मुनाफे से समायोजित किया जा सकता है।
- कंपनी भारत में लिस्टेड तो इसॉप पर टैक्स देनदारी
अगर शेयरों को 12 महीने तक खाते में रखने के बाद बेचा जाता है तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होगा। मौजूदा टैक्स नियमों के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता। हालांकि शेयरों की खरीद के 12 महीने के भीतर ही बेच दिया जाए तो इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और 15 फीसदी की दर सै टैक्स लगेगा।
शेयरों की बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स के प्रकार
शेयरों को 12 महीने तक रखने के बाद बिक्री करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है
अगर 12 महीने से पहले ही शेयरों की बिक्री की जाती है तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होगा
इसॉप पर टैक्स नियम: अगर कंपनी भारत के बाहर लिस्टेड है:
अगर किसी ऐसी कंपनी के शेयर इसॉप में मिले हैं जो भारत में लिस्टेड नहीं है तो आपकी टैक्स देनदारी बनेगी भले ही कितनी मियाद तक शेयर को रखा गया हो। अगर शेयर को 3 साल से ज्यादा रखा गया है तो 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा। हालांकि अगर आपने शेयर को 3 साल से कदम मियाद के लिए रखा हो आयकर ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स भरना होगा।
टैक्स के पहलुओं को समझ लेने के बाद अनंत को इसॉप के शेयरों में निवेश पर सही फैसला लेने में मदद मिली। चूंकि अनंत की कंपनी भारत में लिस्टेड थी और उन्होंने एक साल के बाद शेयर बेच दिए इसलिए उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ा। इसलिए ज़रूरी है कि इसॉप के ज़रिए जब भी कंपनी शेयर ट्रांसफर कर रही हो तो सारी जानकारी हासिल कर ली जाए। इससे ये फैसला लेने में मदद मिलती है कि कब सही समय पर शेयर बेचे जाएं ताकि इसॉप से होने वाली आय पर कम से कम टैक्स देना पड़े।