निवेश करने के 5 फ्रेश निर्णय जिन्हें आपको नई कर व्यवस्था में लेना चाहिए

कर में कोई छूट और कटौती प्रयोज्यता के बिना, नई कर व्यवस्था में निवेश करने के निर्णयों के लिए एक नए दृष्टिकोण की जरूरत होगी।

निवेश करने के 5 फ्रेश निर्णय जिन्हें आपको नई कर व्यवस्था में लेना चाहिए

पिछले साल के बजट में लाई गई नई कर व्यवस्था में टैक्स-सेविंग निवेशों पर एक अलग प्रभाव पड़ा। स्पष्टीकरण के लिए, यह एक अनिवार्य कर व्यवस्था नहीं है और पुरानी व्यवस्था को अपनाया जा सकता है। ऐस कहा जाता है कि, यदि आप नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनना चाहते हैं तो आपको अपनी वित्तीय योजना और टैक्स-सेविंग रणनीतियों को फिर से तैयार करना होगा। 

पहले उपलब्ध कर कटौती और छूट नई व्यवस्था में उपलब्ध नहीं होगी। इसका स्वत: अर्थ यह होता है कि कर योग्य आय उच्च है। हालांकि, टैक्स स्लैब को अधिक उदार रखकर इसकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है। दोनों व्यवस्थाओं में अलग-अलग टैक्स स्लैब्स के कारण, आपको यह पता लगाना होगा कि कौन सी व्यवस्था में आपके लिए कम कर देयता है। इसी अनुसार आप व्यवस्था का चयन कर सकते हैं। 

इसके अलावा, निवेशों की दिशा में आपका नजरिया बदल जाएगा यदि आप नई व्यवस्था का चयन करते हैं। आप व्यापक परिप्रेक्ष्य से निवेशों पर विचार कर सकते हैं और मुख्य मानदंड के रूप में टैक्स सेबिंग पर विचार करने की जरूरत नहीं होगी। यहां इस बारे में बताया गया है कि नई कर व्यवस्था के अंतर्गत अपने निवेशों की योजना बनाते समय आप क्या कर सकते हैं।

1. अपने वित्तीय लक्ष्यों पर ध्यान दें

चूंकि अब टैक्स सेविंग प्राथमिक विवेचन नहीं है, इसलिए नई व्यवस्था में आप निवेश करते समय अपनी वित्तीय जरूरतों पर, निवेश आकांक्षाओं पर और जोखिम प्रबंधन पर फोकस कर सकते हैं। मान लें कि पुरानी व्यवस्था में आपके पीपीएफ/ईपीएफ में प्रति वर्ष 1 लाख रुपया था। धारा 80C के अंतर्हत 1.5 लाख रुपए की छूट पाने के लिए, आपको 50,000 रुपए का नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट भी खरीदना होगा। इस वर्ष, आप अपने बाद में मिलने वाली राशि का उपयोग अपनी वित्तीय लक्ष्य के अनुसार कर सकते हैं। यदि आप अपने पेंशन ऐन्युइटी को आगे और बढ़ाना चाहते हैं, तो इस 50,000 रुपए को इसमें लगाया जा सकता है। यदि आपमें जोखिम लेने की क्षमता है लेकिन निवेश करने के लिए पैसे की कमी है, तो आप इक्विटी म्यूचुअल फंड या स्टॉक जैसे बाजार से जुड़े उत्पादों में निवेश कर सकते हैं। 

2. अपने निवेशों में विविधता लाना

पुरानी व्यवस्था में, सीमित आय वाले लोगों के पास अपने निवेशों में विविधता लाने का विकल्प नहीं था। उनकी मुख्य चिंता थी अपने निवेशों को आयकर अधिनियम की टैक्स-अनुकूल धाराओं में लगाना। नई व्यवस्था में, आप अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं और अपने निवेशों को विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में फैला सकते हैं। आप अपने फंड्स को सुरक्षित निवेशों के लिए अलग कर सकते हैंजैसे पीएफ अकाउंट, कुछ फिक्स्ड डिपॉजिट, सरकारी बचत योजनाएं इत्यादि। लेकिन आप मनी मार्केट, डेट फंड्स और सरकारी प्रतिभूतियों में भी निवेश कर सकते हैं। जोखिमों और फायदों के बारे में जानने के लिए आप अपनी डिस्पोजेबल आय का एक हिस्सा इक्विटी मार्केट, कमोडिटीज़ और डेरिवेटिव्स में निवेश कर सकते हैं। गोल्ड में निवेश करने को एक अच्छा पोर्टफोलियो डायवर्सिफायर माना जाता है और आप इसे लंबी अवधि के मुद्रास्फीति अवरोधक के रूप में कर सकते हैं।

इससे जुड़ी बातें: क्या आपको पुरानी कर व्यवस्था पर बने रहना चाहिए या नई वाली इस्तेमाल करनी चाहिए?

3. टैक्स-अनुकूल निवेश जारी रखें

कुछ मान्यताप्राप्त टैक्स-अनुकूल निवेशों को जारी रखा जा सकता है क्योंकि उनके फायदे कर की बचत से कहीं अधिक होते हैं। इक्विटी-लिंक्ड बचत योजनाओं की छोटी लॉक-इन अवधि होती है, और कोई न्यूनतम या नियमित अंशदान अनिवार्य नहीं है। इसमें अच्छा रिटर्न भी मिलता है। नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स और फिक्स्ड डिपॉजिट में किसी निर्धारित अंशदान की जरूरत नहीं होती, और इसकी परिपक्वता पर प्राप्त रिटर्न को दुबारा निवेशित किया जा सकता है ताकि निकासी कर से बचा जा सके। पीपीएफ को भी जारी रखा जा सकता है क्योंकि इसका अंशदान, रिटर्न और निकासी सभी टैक्स-फ्री हैं। इसके अलावा, दीर्घ-कालिक निवेश के लिए यह एक सुरक्षित विकल्प है।

4. बीमा के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करें

पुरानी व्यवस्था में, टैक्स फायदों के बारे में सोचते हुए हो सकता है कि हम विभिन्न बीमा उत्पादों को खरीदने के लिए मजबूर रहे हों। हालांकि, नई व्यवस्था में, आपकी बीमा जरूरतों के लिए एक अच्छा लाइव कवर पर्याप्त है। किसी अतिरिक्त बीमा उत्पाद की तुलना अन्य प्रतियोगी निवेश उत्पादों के साथ की जानी चाहिए। उनकी टैक्स-सेविंग विशेषताएं अब आपके लिए महत्वपूर्ण नहीं होगी। यही आपके स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा पर भी लागू होता है। हालांकि, टैक्स लाभ उपलब्ध न होने के बावजूद, जीवन और स्वास्थ्य बीमा को सक्रिय रखना एक प्राथमिकता होनी चाहिए।

इससे जुड़ी बातें: नई कर व्यवस्था के अंतर्गत टैक्स-फ्री होने वाले आय

5. माता-पिता के टैक्स स्लैब और इंसेंटिव का उपयोग करें

यदि आपके माता-पिता रिटायर्ड हैं, या उनकी आय सीमित है, तो आप अपनी कर देयता को कम करने के लिए उनके आयकर स्लैब का उपयोग कर सकते हैं। माता-पिता को दिए जाने वाले उपहारों पर देने वाले या लेने वालों को कर नहीं देना पड़ता, और न ही यह आय आपकी आय में जुड़ता है। उपहार में दी गई धनराशि को टैक्स-फ्री निवेशों में लगाया जा सकता है, इससे होने वाली आय पर आपको टैक्स देना होगा। बैंक और वित्तीय संस्थान फिक्स्ड डिपॉजिट पर वरिष्ठ नागरिकों को ऊंची दर पर रिटर्न देते हैं। वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाएं भी आपके माता-पिता के लिए उच्च प्राप्ति वाला निवेश विकल्प हो सकता है जिसमें आप योगदान दे सकते हैं।

अंतिम शब्द

सरकार द्वारा लागू नई कर व्यवस्था में न केवल कर की दर कम है बल्कि आपको अपने निवेश विकल्पों में अधिक स्वतंत्रता भी मिलती है। केवल परिपक्वता रिटर्न की कर देयता को ध्यान में रखते हुए, आप अपने निवेश विकल्पों और निर्णयों की दिशा में एक अधिक संतुलित दृष्टिकोण अपना सकते हैं। इन कर छूटों और कटौतियों को देखें जो नई कर व्यवस्था में उपलब्ध हैं

अस्वीकरण: यह आलेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है और इसे बीमा या निवेश या कर या कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में कोई निर्णय लेने से पहले आपको अलग से स्वतंत्र सलाह लेनी चाहिए। 

पिछले साल के बजट में लाई गई नई कर व्यवस्था में टैक्स-सेविंग निवेशों पर एक अलग प्रभाव पड़ा। स्पष्टीकरण के लिए, यह एक अनिवार्य कर व्यवस्था नहीं है और पुरानी व्यवस्था को अपनाया जा सकता है। ऐस कहा जाता है कि, यदि आप नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनना चाहते हैं तो आपको अपनी वित्तीय योजना और टैक्स-सेविंग रणनीतियों को फिर से तैयार करना होगा। 

पहले उपलब्ध कर कटौती और छूट नई व्यवस्था में उपलब्ध नहीं होगी। इसका स्वत: अर्थ यह होता है कि कर योग्य आय उच्च है। हालांकि, टैक्स स्लैब को अधिक उदार रखकर इसकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है। दोनों व्यवस्थाओं में अलग-अलग टैक्स स्लैब्स के कारण, आपको यह पता लगाना होगा कि कौन सी व्यवस्था में आपके लिए कम कर देयता है। इसी अनुसार आप व्यवस्था का चयन कर सकते हैं। 

इसके अलावा, निवेशों की दिशा में आपका नजरिया बदल जाएगा यदि आप नई व्यवस्था का चयन करते हैं। आप व्यापक परिप्रेक्ष्य से निवेशों पर विचार कर सकते हैं और मुख्य मानदंड के रूप में टैक्स सेबिंग पर विचार करने की जरूरत नहीं होगी। यहां इस बारे में बताया गया है कि नई कर व्यवस्था के अंतर्गत अपने निवेशों की योजना बनाते समय आप क्या कर सकते हैं।

1. अपने वित्तीय लक्ष्यों पर ध्यान दें

चूंकि अब टैक्स सेविंग प्राथमिक विवेचन नहीं है, इसलिए नई व्यवस्था में आप निवेश करते समय अपनी वित्तीय जरूरतों पर, निवेश आकांक्षाओं पर और जोखिम प्रबंधन पर फोकस कर सकते हैं। मान लें कि पुरानी व्यवस्था में आपके पीपीएफ/ईपीएफ में प्रति वर्ष 1 लाख रुपया था। धारा 80C के अंतर्हत 1.5 लाख रुपए की छूट पाने के लिए, आपको 50,000 रुपए का नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट भी खरीदना होगा। इस वर्ष, आप अपने बाद में मिलने वाली राशि का उपयोग अपनी वित्तीय लक्ष्य के अनुसार कर सकते हैं। यदि आप अपने पेंशन ऐन्युइटी को आगे और बढ़ाना चाहते हैं, तो इस 50,000 रुपए को इसमें लगाया जा सकता है। यदि आपमें जोखिम लेने की क्षमता है लेकिन निवेश करने के लिए पैसे की कमी है, तो आप इक्विटी म्यूचुअल फंड या स्टॉक जैसे बाजार से जुड़े उत्पादों में निवेश कर सकते हैं। 

2. अपने निवेशों में विविधता लाना

पुरानी व्यवस्था में, सीमित आय वाले लोगों के पास अपने निवेशों में विविधता लाने का विकल्प नहीं था। उनकी मुख्य चिंता थी अपने निवेशों को आयकर अधिनियम की टैक्स-अनुकूल धाराओं में लगाना। नई व्यवस्था में, आप अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं और अपने निवेशों को विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में फैला सकते हैं। आप अपने फंड्स को सुरक्षित निवेशों के लिए अलग कर सकते हैंजैसे पीएफ अकाउंट, कुछ फिक्स्ड डिपॉजिट, सरकारी बचत योजनाएं इत्यादि। लेकिन आप मनी मार्केट, डेट फंड्स और सरकारी प्रतिभूतियों में भी निवेश कर सकते हैं। जोखिमों और फायदों के बारे में जानने के लिए आप अपनी डिस्पोजेबल आय का एक हिस्सा इक्विटी मार्केट, कमोडिटीज़ और डेरिवेटिव्स में निवेश कर सकते हैं। गोल्ड में निवेश करने को एक अच्छा पोर्टफोलियो डायवर्सिफायर माना जाता है और आप इसे लंबी अवधि के मुद्रास्फीति अवरोधक के रूप में कर सकते हैं।

इससे जुड़ी बातें: क्या आपको पुरानी कर व्यवस्था पर बने रहना चाहिए या नई वाली इस्तेमाल करनी चाहिए?

3. टैक्स-अनुकूल निवेश जारी रखें

कुछ मान्यताप्राप्त टैक्स-अनुकूल निवेशों को जारी रखा जा सकता है क्योंकि उनके फायदे कर की बचत से कहीं अधिक होते हैं। इक्विटी-लिंक्ड बचत योजनाओं की छोटी लॉक-इन अवधि होती है, और कोई न्यूनतम या नियमित अंशदान अनिवार्य नहीं है। इसमें अच्छा रिटर्न भी मिलता है। नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स और फिक्स्ड डिपॉजिट में किसी निर्धारित अंशदान की जरूरत नहीं होती, और इसकी परिपक्वता पर प्राप्त रिटर्न को दुबारा निवेशित किया जा सकता है ताकि निकासी कर से बचा जा सके। पीपीएफ को भी जारी रखा जा सकता है क्योंकि इसका अंशदान, रिटर्न और निकासी सभी टैक्स-फ्री हैं। इसके अलावा, दीर्घ-कालिक निवेश के लिए यह एक सुरक्षित विकल्प है।

4. बीमा के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करें

पुरानी व्यवस्था में, टैक्स फायदों के बारे में सोचते हुए हो सकता है कि हम विभिन्न बीमा उत्पादों को खरीदने के लिए मजबूर रहे हों। हालांकि, नई व्यवस्था में, आपकी बीमा जरूरतों के लिए एक अच्छा लाइव कवर पर्याप्त है। किसी अतिरिक्त बीमा उत्पाद की तुलना अन्य प्रतियोगी निवेश उत्पादों के साथ की जानी चाहिए। उनकी टैक्स-सेविंग विशेषताएं अब आपके लिए महत्वपूर्ण नहीं होगी। यही आपके स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा पर भी लागू होता है। हालांकि, टैक्स लाभ उपलब्ध न होने के बावजूद, जीवन और स्वास्थ्य बीमा को सक्रिय रखना एक प्राथमिकता होनी चाहिए।

इससे जुड़ी बातें: नई कर व्यवस्था के अंतर्गत टैक्स-फ्री होने वाले आय

5. माता-पिता के टैक्स स्लैब और इंसेंटिव का उपयोग करें

यदि आपके माता-पिता रिटायर्ड हैं, या उनकी आय सीमित है, तो आप अपनी कर देयता को कम करने के लिए उनके आयकर स्लैब का उपयोग कर सकते हैं। माता-पिता को दिए जाने वाले उपहारों पर देने वाले या लेने वालों को कर नहीं देना पड़ता, और न ही यह आय आपकी आय में जुड़ता है। उपहार में दी गई धनराशि को टैक्स-फ्री निवेशों में लगाया जा सकता है, इससे होने वाली आय पर आपको टैक्स देना होगा। बैंक और वित्तीय संस्थान फिक्स्ड डिपॉजिट पर वरिष्ठ नागरिकों को ऊंची दर पर रिटर्न देते हैं। वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाएं भी आपके माता-पिता के लिए उच्च प्राप्ति वाला निवेश विकल्प हो सकता है जिसमें आप योगदान दे सकते हैं।

अंतिम शब्द

सरकार द्वारा लागू नई कर व्यवस्था में न केवल कर की दर कम है बल्कि आपको अपने निवेश विकल्पों में अधिक स्वतंत्रता भी मिलती है। केवल परिपक्वता रिटर्न की कर देयता को ध्यान में रखते हुए, आप अपने निवेश विकल्पों और निर्णयों की दिशा में एक अधिक संतुलित दृष्टिकोण अपना सकते हैं। इन कर छूटों और कटौतियों को देखें जो नई कर व्यवस्था में उपलब्ध हैं

अस्वीकरण: यह आलेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है और इसे बीमा या निवेश या कर या कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में कोई निर्णय लेने से पहले आपको अलग से स्वतंत्र सलाह लेनी चाहिए। 

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