जॉइंट ओनरशिप वाली प्रॉपर्टी पर इनकम टैक्स का असर | Tax implication on jointly owned property

जॉइंट ओनरशिप वाली प्रॉपर्टी की इनकम टैक्स देनदारी बिक्री से होने वाली आय, किराए और टीडीएस को कवर करती है

जॉइंट ओनरशिप वाली प्रॉपर्टी पर इनकम टैक्स का असर

प्रॉपर्टी पर टैक्स तब देना पड़ता है जब उसका मालिक उससे आय कमाता है या इससे कैपिटल गेन पाता है. आयकर अधिनियम व्यक्ति के साथ-साथ कंपनी, पार्टनरशिप, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), आदि पर कर लगाता है. इस हिसाब से, प्रॉपर्टी पर ओनरशिप के आधार पर टैक्स लगाया जाएगा, चाहे उसका मालिक कोई व्यक्ति हो या समूह. 

हालांकि, जॉइंट प्रॉपर्टी नियमों के अनुसार, प्रॉपर्टी के को-ओनरों पर टैक्स व्यक्तिगत रूप से लगाया जाता है, न कि सामूहिक रूप में. हालांकि, ऐसा करने से पहले, प्रॉपर्टी की जॉइंट ओनरशिप में किसका कितना हिस्सा है यह पता लगाना होगा.

प्रॉपर्टी की जॉइंट ओनरशिप में किसका कितना हिस्सा है यह पता लगाना 

प्रॉपर्टी खरीदने के समझौते में सिर्फ नाम का उल्लेख होने पर आयकर देना नहीं पड़ता. प्रॉपर्टी पर आयकर कैलकुलेट करने के लिए प्रॉपर्टी की खरीद के लिए हरेक को-ओनर के योगदान को ध्यान में रखा जाता है. यह योगदान डाउन पेमेंट या उसके बाद के पेमेंट करते समय किया गया हो सकता है. होम लोन के बंटवारे का अनुपात, यदि कोई हो, इस ओनरशिप की हिस्सेदारी को दर्शाता है. 

विरासत में मिली और जॉइंट ओनरशिप वाली प्रॉपर्टी के मामले में, पूर्वजों की वसीयत में ज़िक्र किए गए ओनरशिप रेश्यो को ध्यान में रखा जाएगा. वसीयत न होने पर, ओनरशिप कैलकुलेट करने के लिए प्रॉपर्टी ओनर के धर्म के लिए लागू उत्तराधिकार के कानून पर विचार किया जाएगा. हक का त्याग करने पर प्रॉपर्टी में रूचि पर भी असर पड़ेगा. किसी को-ओनर की मृत्यु के मामले में, उत्तराधिकारी को हिस्सा मिलता है, न कि जीवित को-ओनर(रों) को.

इससे मिलती-जुलती बातें: क्या आप एक प्री-ओनरशिप वाली प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं? पहले ये डाक्यूमेंट्स जांच लें!

किराए से आय

अगर आपके पास जॉइंट ओनरशिप वाली एक से ज़्यादा प्रॉपर्टी है, तो रेज़िडेंशियल के अलावा अन्य सभी प्रॉपर्टी पर टैक्स देना होगा. अगर किसी भी प्रॉपर्टी को किराए पर नहीं दिया जाता है, तो टैक्स अनुमानित किराए पर ओनरशिप रेश्यो के अनुसार कैलकुलेट किया जाएगा. किराए पर दिए जाने पर, प्राप्त किराए पर कर लगेगा. किराए पर, चाहे वह अनुमानित हो या वास्तविक, 30% की मानक कटौती लागू होगी. इसके अलावा, होम लोन का ब्याज और नवीनीकरण या मरम्मत की लागत भी किराये की आय से कटौती योग्य है. 

बिक्री से लाभ 

प्रॉपर्टी बेचने पर, कॉस्ट ऑफ़ एक्वीजीशन और टोटल सेल्स कंसीडरेशन को को-ओनर्स के बीच बराबर अनुपात में बाँट दिया जाएगा. हरेक को-ओनर , 50 लाख रुपये तक के इंडेक्स्ड कैपिटल गेन के निवेश पर धारा 54ईसी के अंतर्गत छूट का लाभ ले सकेगा. अगर प्राप्त आय निर्धारित अवधि के भीतर किसी रेज़ीडेंशियल हाउस में निवेश की जाती है, साथ ही करदाता के पास कोई अन्य आवासीय संपत्ति न हो, तो धारा 54एफ कैपिटल गेन टैक्स से छूट की अनुमति देता है. 54ईसी और 54एफ दोनों, को-ओनरों के लिए अलग-अलग उपलब्ध हैं.

इससे मिलती-जुलती बातें: एक घर की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है, इस पर एक एक्सपर्ट गाइड

कैपिटल गेन कैलकुलेशन 

आइए हम एक उदाहरण के साथ कैपिटल गेन कैलकुलेशन को समझते हैं, मान लीजिए कि पति और पत्नी श्री ए और श्रीमती ए को-ओनर हैं:

जानकारी

श्री ए

श्रीमती ए

टोटल

ओनरशिप का रेश्यो

50%

50%

100%

जनवरी 2003 में सेल्स कंसीडरेशन (एनआर में)

5,00,000 5,00,000 10,00,000

जनवरी 2019 में इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ़ एक्वीजीशन (1,00,000 x 280/105)

1,33,333 1,33,333

2,66,667

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स

3,66,667 3,66,667

7,33,333

बिक्री पर टीडीएस 

धारा 194-आईए (2) के अनुसार, अचल संपत्ति की बिक्री पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) 1% की कटौती के रूप में लागू होती है. हालांकि, जॉइंट ओनरशिप के मामले में प्रॉपर्टी बेचने पर टीडीएस तभी लागू होगा जब हरेक जॉइंट ओनर की सेल कंसीडरेशन से आय 50 लाख रुपये से अधिक हो. अगर को-ओनरों के मामले में सेल कंसीडरेशन ज़्यादा होगा तब ही जॉइंट सेलर्स के मामले में प्रॉपर्टी बेचने पर टीडीएस लागू होगा. यानी, को-ओनर वाली प्रॉपर्टी पर इनकम टैक्स देना पड़ता है. यह भारत के लिए टुमॉरो मेकर्स की होम बायिंग गाइड देखें [भाग - I].

प्रॉपर्टी पर टैक्स तब देना पड़ता है जब उसका मालिक उससे आय कमाता है या इससे कैपिटल गेन पाता है. आयकर अधिनियम व्यक्ति के साथ-साथ कंपनी, पार्टनरशिप, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), आदि पर कर लगाता है. इस हिसाब से, प्रॉपर्टी पर ओनरशिप के आधार पर टैक्स लगाया जाएगा, चाहे उसका मालिक कोई व्यक्ति हो या समूह. 

हालांकि, जॉइंट प्रॉपर्टी नियमों के अनुसार, प्रॉपर्टी के को-ओनरों पर टैक्स व्यक्तिगत रूप से लगाया जाता है, न कि सामूहिक रूप में. हालांकि, ऐसा करने से पहले, प्रॉपर्टी की जॉइंट ओनरशिप में किसका कितना हिस्सा है यह पता लगाना होगा.

प्रॉपर्टी की जॉइंट ओनरशिप में किसका कितना हिस्सा है यह पता लगाना 

प्रॉपर्टी खरीदने के समझौते में सिर्फ नाम का उल्लेख होने पर आयकर देना नहीं पड़ता. प्रॉपर्टी पर आयकर कैलकुलेट करने के लिए प्रॉपर्टी की खरीद के लिए हरेक को-ओनर के योगदान को ध्यान में रखा जाता है. यह योगदान डाउन पेमेंट या उसके बाद के पेमेंट करते समय किया गया हो सकता है. होम लोन के बंटवारे का अनुपात, यदि कोई हो, इस ओनरशिप की हिस्सेदारी को दर्शाता है. 

विरासत में मिली और जॉइंट ओनरशिप वाली प्रॉपर्टी के मामले में, पूर्वजों की वसीयत में ज़िक्र किए गए ओनरशिप रेश्यो को ध्यान में रखा जाएगा. वसीयत न होने पर, ओनरशिप कैलकुलेट करने के लिए प्रॉपर्टी ओनर के धर्म के लिए लागू उत्तराधिकार के कानून पर विचार किया जाएगा. हक का त्याग करने पर प्रॉपर्टी में रूचि पर भी असर पड़ेगा. किसी को-ओनर की मृत्यु के मामले में, उत्तराधिकारी को हिस्सा मिलता है, न कि जीवित को-ओनर(रों) को.

इससे मिलती-जुलती बातें: क्या आप एक प्री-ओनरशिप वाली प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं? पहले ये डाक्यूमेंट्स जांच लें!

किराए से आय

अगर आपके पास जॉइंट ओनरशिप वाली एक से ज़्यादा प्रॉपर्टी है, तो रेज़िडेंशियल के अलावा अन्य सभी प्रॉपर्टी पर टैक्स देना होगा. अगर किसी भी प्रॉपर्टी को किराए पर नहीं दिया जाता है, तो टैक्स अनुमानित किराए पर ओनरशिप रेश्यो के अनुसार कैलकुलेट किया जाएगा. किराए पर दिए जाने पर, प्राप्त किराए पर कर लगेगा. किराए पर, चाहे वह अनुमानित हो या वास्तविक, 30% की मानक कटौती लागू होगी. इसके अलावा, होम लोन का ब्याज और नवीनीकरण या मरम्मत की लागत भी किराये की आय से कटौती योग्य है. 

बिक्री से लाभ 

प्रॉपर्टी बेचने पर, कॉस्ट ऑफ़ एक्वीजीशन और टोटल सेल्स कंसीडरेशन को को-ओनर्स के बीच बराबर अनुपात में बाँट दिया जाएगा. हरेक को-ओनर , 50 लाख रुपये तक के इंडेक्स्ड कैपिटल गेन के निवेश पर धारा 54ईसी के अंतर्गत छूट का लाभ ले सकेगा. अगर प्राप्त आय निर्धारित अवधि के भीतर किसी रेज़ीडेंशियल हाउस में निवेश की जाती है, साथ ही करदाता के पास कोई अन्य आवासीय संपत्ति न हो, तो धारा 54एफ कैपिटल गेन टैक्स से छूट की अनुमति देता है. 54ईसी और 54एफ दोनों, को-ओनरों के लिए अलग-अलग उपलब्ध हैं.

इससे मिलती-जुलती बातें: एक घर की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है, इस पर एक एक्सपर्ट गाइड

कैपिटल गेन कैलकुलेशन 

आइए हम एक उदाहरण के साथ कैपिटल गेन कैलकुलेशन को समझते हैं, मान लीजिए कि पति और पत्नी श्री ए और श्रीमती ए को-ओनर हैं:

जानकारी

श्री ए

श्रीमती ए

टोटल

ओनरशिप का रेश्यो

50%

50%

100%

जनवरी 2003 में सेल्स कंसीडरेशन (एनआर में)

5,00,000 5,00,000 10,00,000

जनवरी 2019 में इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ़ एक्वीजीशन (1,00,000 x 280/105)

1,33,333 1,33,333

2,66,667

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स

3,66,667 3,66,667

7,33,333

बिक्री पर टीडीएस 

धारा 194-आईए (2) के अनुसार, अचल संपत्ति की बिक्री पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) 1% की कटौती के रूप में लागू होती है. हालांकि, जॉइंट ओनरशिप के मामले में प्रॉपर्टी बेचने पर टीडीएस तभी लागू होगा जब हरेक जॉइंट ओनर की सेल कंसीडरेशन से आय 50 लाख रुपये से अधिक हो. अगर को-ओनरों के मामले में सेल कंसीडरेशन ज़्यादा होगा तब ही जॉइंट सेलर्स के मामले में प्रॉपर्टी बेचने पर टीडीएस लागू होगा. यानी, को-ओनर वाली प्रॉपर्टी पर इनकम टैक्स देना पड़ता है. यह भारत के लिए टुमॉरो मेकर्स की होम बायिंग गाइड देखें [भाग - I].

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