- Date : 09/04/2023
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यदि आप मकान मालिक हैं और किराया लेते हैं तो किराए पर लगने वाले टैक्स और मिलने वाली छूट के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए।

Tax deduction: यदि आपने निवेश के हिसाब से अचल संपत्ति बनाई हो और उसे किराए पर चढ़ाया हो तो किराए को रेंटल इनकम में दर्ज किया जाता है। साथ ही आपकी कोई भी अचल संपत्ति जिससे आपको आय प्राप्त होती है तो उस पर टैक्स देय होता है।
यह सारी आय मकान मालिक की अन्य आय के साथ जोड़ी जाती है। इसलिए मकान मालिक को किराए से होने वाली कमाई पर लगने वाले टैक्स की पूरी जानकारी होना निहायत जरूरी है।
प्रॉपर्टी किराए पर टैक्स (Tax on rental income)
यदि किसी व्यक्ति की अन्य कोई आय नहीं है और आय का एकमात्र माध्यम अचल संपत्ति का किराया ही है तो उस स्थिति में यदि यह किराया किसी एक वित्त वर्ष में ₹2.5 लाख से अधिक न हो तो कोई कर देय नहीं है। इसलिए रिटर्न भरना भी आवश्यक नहीं होता।
सालभर में किराए से होने वाली आय को ग्रॉस ऐन्युअल वैल्यू कहा जाता है। कर विभाग की वेबसाइट पर यह जानकारी दी गई है कि इस आय से नगर निगम को दिया जाने वाला कर डिडक्ट हो सकता है।
‘अचल संपत्ति पर लगने वाले कर को समझने के लिए निम्नलिखित चरणों को समझना आवश्यक है,’ ‘इन्वेस्ट आज फॉर कल’ के संस्थापक और कर विशेषज्ञ अनंत लाढ़ा ने इस विषय में जानकारी देते हुए कहा।
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30% डिडक्शन ऑन रेंटल इनकम
मान लीजिए किसी व्यक्ति को अपनी अचल संपत्ति पर ₹30,000 प्रति महीना किराया मिलता है। उसकी ग्रॉस ऐन्युअल वैल्यू हो जाएगी ₹3.6 लाख वार्षिक। अब इस राशि में से प्रॉपर्टी टैक्स को घटा दिया जाए तो मिलेगी नेट ऐन्युअल वैल्यू। मान लीजिए प्रॉपर्टी टैक्स ₹60,000 हो तो उसकी नेट ऐन्युअल वैल्यू हो जाएगी ₹3 लाख वार्षिक।
अब इस राशि पर सेक्शन 24a के अंतर्गत 30% डिडक्शन का फायदा मिल सकता है। इस डिडक्शन की गणना नेट ऐन्युअल वैल्यू पर की जाती है।
सेक्शन 24a के अंतर्गत मिलने वाली छूट (डिडक्शन बेनिफिट)
धारा 24a के अंतर्गत ₹90,000 तक की छूट दी जाती है। उपरोक्त उदाहरण के अनुसार ₹3 लाख में से यदि ₹90,000 की छूट घटा दी जाए तो नेट ऐन्युअल वैल्यू ₹2.1 लाख बच रहती है।
यदि यह संपत्ति लोन लेकर खरीदी गई है तो उसपर धारा 24b के अंतर्गत भी छूट मिल सकती है।
होम लोन के कारण टैक्स का हिसाब
यदि संपत्ति होम लोन या कर्ज लेकर खरीदी गई हो तो प्रतिवर्ष उसके लिए चुकाई जाने वाली किस्त (ईएमआई) के ब्याज से डिडक्शन का लाभ लिया जा सकता है। इसके लिए अधिकतम सीमा ₹2 लाख की तय की गई है। यानी यदि ऊपर के ही उदाहरण को लें तो ₹2.1 लाख नेट ऐन्युअल वैल्यू पर ₹2 लाख तक का डिडक्शन मिले तो इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी केवल ₹10,000 तक हो जाती है।
अब यह राशि यानी ₹10,000 उसकी कुल आय में जोड़ दी जाएगी। जिसपर लागू होने वाले टैक्स ब्रैकेट के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा।
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