TDS Vs TCS: 2023 में टैक्स भरने से पहले इन दोनों के बीच के अंतर को समझें

TDS और TCS के बीच के अंतर को समझ कर इसका अनुपालन करना सही टैक्स बचाने के लिए आवश्यक है।

TDS Vs TCS

TDS vs TCS: आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा तेजी से नजदीक आ रहा है। ऐसे में कई लोगों के लिए टीडीएस वर्सेज टीसीएस के बीच भ्रमित होना असामान्य नहीं है। ये दो शब्द अक्सर टैक्सपेयर्स को उलझन में डालते हैं, मगर ये कुछ और नहीं बल्कि कर संग्रह के दो तरीके हैं। सरल शब्दों में समझें तो टीडीएस का विस्तृत नाम टैक्स डिडक्शन एट सोर्स है, जबकि टीसीएस का अर्थ टैक्स कलेक्शन एट सोर्स होता है। इन्हें एक-एक कर गहराई से समझते हैं। 

TDS क्या है? 

टीडीएस, किसी व्यक्ति के आय पर स्रोत यानि आय प्रदाता द्वारा काटी गई राशि है। टीडीएस के माध्यम से, सरकार विभिन्न आय स्रोतों से कुशलतापूर्वक कर एकत्र करती है, जिसमें वेतन, ब्याज आय और अन्य निवेश संबंधी कमीशन शामिल हैं। भुगतान करने वाली संस्था प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत में विभिन्न प्रकार के भुगतानों के लिए सरकार की पूर्व निर्धारित दरों के अनुसार टीडीएस के रूप में एक निश्चित राशि काटती है। TDS काटने वाली इकाई को “डिडक्टर” के रूप में जाना जाता है और जिस व्यक्ति का टीडीएस काटा जाता है उसे “डिडक्टी” कहा जाता है।

यह भी पढ़ें: कैसे माता-पिता भी बचा सकते हैं आपके लिए टैक्स?

टीडीएस का उदाहरण

टीडीएस को और स्पष्ट करने के लिए एक उदाहरण को देखते हैं। मान लीजिए आप 10 लाख रुपये की लॉटरी जीतते हैं। इस तरह की पुरस्कार राशि पर 30% टीडीएस कटौती का नियम है। नतीजतन, आपको 10 लाख रुपये का 30% कटौती करने के बाद कुल जीत के रूप में सात लाख रुपये की ही शेष राशि प्राप्त होगी। इसी तरह यदि आप प्रोफेशनल हैं तो सालाना 30,000 रुपये या इससे अधिक के भुगतान के लिए 10% टीडीएस काटने का प्रावधान है।

TCS क्या है?

TCS या टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स में विशिष्ट वस्तुओं के लेनदेन के दौरान करों का संग्रह शामिल है। इन सामानों में शराब, तेंदू पत्ता, लकड़ी, स्क्रैप, खनिज और अन्य शामिल हैं। इन सामानों की कीमत निर्धारित करते समय, लागू कर की राशि को जोड़ा दिया जाता है और बाद में सरकार के पास जमा कर दिया जाता है। खरीदार से टीसीएस लेने और उसे सरकार को भेजने की जिम्मेदारी विक्रेता की होती है। आयकर अधिनियम की धारा 206C (1) के अनुसार, TCS केवल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कुछ वस्तुओं की बिक्री पर लगाया जाता है, व्यक्तिगत उपभोग की वस्तुओं के लिए नहीं।

TCS का उदाहरण

TCS को एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। कल्पना कीजिए कि एक व्यक्ति एक कंपनी को एक लाख रुपये का कबाड़ बेचता है। मौजूदा नियम के तहत स्क्रैप की बिक्री पर 1% टीसीएस लगता है। इसलिए, एक लाख रुपये का एक प्रतिशत 1000 रुपये बनता है। नतीजतन, कंपनी एकत्रित टीसीएस सहित कुल एक लाख एक हजार रुपये का भुगतान करेगी। एकत्र की गई 1000 रुपये की टीसीएस राशि आयकर विभाग को भेजी जाती है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि टीसीएस की दर अलग-अलग सामानों के लिए अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, तेंदू के पत्तों पर अधिकतम टीसीएस दर पांच प्रतिशत है, जबकि शराब पर यह 2.5 प्रतिशत है।

यह भी पढ़ें: टैक्स स्लैब में ना आने के बावजूद आपको क्यों भरना चाहिए ITR?

TDS vs TCS: आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा तेजी से नजदीक आ रहा है। ऐसे में कई लोगों के लिए टीडीएस वर्सेज टीसीएस के बीच भ्रमित होना असामान्य नहीं है। ये दो शब्द अक्सर टैक्सपेयर्स को उलझन में डालते हैं, मगर ये कुछ और नहीं बल्कि कर संग्रह के दो तरीके हैं। सरल शब्दों में समझें तो टीडीएस का विस्तृत नाम टैक्स डिडक्शन एट सोर्स है, जबकि टीसीएस का अर्थ टैक्स कलेक्शन एट सोर्स होता है। इन्हें एक-एक कर गहराई से समझते हैं। 

TDS क्या है? 

टीडीएस, किसी व्यक्ति के आय पर स्रोत यानि आय प्रदाता द्वारा काटी गई राशि है। टीडीएस के माध्यम से, सरकार विभिन्न आय स्रोतों से कुशलतापूर्वक कर एकत्र करती है, जिसमें वेतन, ब्याज आय और अन्य निवेश संबंधी कमीशन शामिल हैं। भुगतान करने वाली संस्था प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत में विभिन्न प्रकार के भुगतानों के लिए सरकार की पूर्व निर्धारित दरों के अनुसार टीडीएस के रूप में एक निश्चित राशि काटती है। TDS काटने वाली इकाई को “डिडक्टर” के रूप में जाना जाता है और जिस व्यक्ति का टीडीएस काटा जाता है उसे “डिडक्टी” कहा जाता है।

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टीडीएस का उदाहरण

टीडीएस को और स्पष्ट करने के लिए एक उदाहरण को देखते हैं। मान लीजिए आप 10 लाख रुपये की लॉटरी जीतते हैं। इस तरह की पुरस्कार राशि पर 30% टीडीएस कटौती का नियम है। नतीजतन, आपको 10 लाख रुपये का 30% कटौती करने के बाद कुल जीत के रूप में सात लाख रुपये की ही शेष राशि प्राप्त होगी। इसी तरह यदि आप प्रोफेशनल हैं तो सालाना 30,000 रुपये या इससे अधिक के भुगतान के लिए 10% टीडीएस काटने का प्रावधान है।

TCS क्या है?

TCS या टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स में विशिष्ट वस्तुओं के लेनदेन के दौरान करों का संग्रह शामिल है। इन सामानों में शराब, तेंदू पत्ता, लकड़ी, स्क्रैप, खनिज और अन्य शामिल हैं। इन सामानों की कीमत निर्धारित करते समय, लागू कर की राशि को जोड़ा दिया जाता है और बाद में सरकार के पास जमा कर दिया जाता है। खरीदार से टीसीएस लेने और उसे सरकार को भेजने की जिम्मेदारी विक्रेता की होती है। आयकर अधिनियम की धारा 206C (1) के अनुसार, TCS केवल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कुछ वस्तुओं की बिक्री पर लगाया जाता है, व्यक्तिगत उपभोग की वस्तुओं के लिए नहीं।

TCS का उदाहरण

TCS को एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। कल्पना कीजिए कि एक व्यक्ति एक कंपनी को एक लाख रुपये का कबाड़ बेचता है। मौजूदा नियम के तहत स्क्रैप की बिक्री पर 1% टीसीएस लगता है। इसलिए, एक लाख रुपये का एक प्रतिशत 1000 रुपये बनता है। नतीजतन, कंपनी एकत्रित टीसीएस सहित कुल एक लाख एक हजार रुपये का भुगतान करेगी। एकत्र की गई 1000 रुपये की टीसीएस राशि आयकर विभाग को भेजी जाती है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि टीसीएस की दर अलग-अलग सामानों के लिए अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, तेंदू के पत्तों पर अधिकतम टीसीएस दर पांच प्रतिशत है, जबकि शराब पर यह 2.5 प्रतिशत है।

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