- Date : 12/09/2020
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वित्त को लेकर कोई भी योजना सही तरीके से बनाना जरूरी है। कभी भी कोई योजना अनौपचारिक तौर पर या अस्थायी लक्ष्य के लिए या फिर बिना किसी उद्देश्य के नहीं बनाना चाहिए।

वित्त को लेकर कोई भी योजना सही तरीके से बनाना जरूरी है। कभी भी कोई योजना अनौपचारिक तौर पर या अस्थायी लक्ष्य के लिए या फिर बिना किसी उद्देश्य के नहीं बनाना चाहिए। उचित कर योजना से ना केवल कर की देनदारी कम होती है बल्कि जीवन के विभिन्न स्तरों के लिए निर्धारित विभिन्न लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अच्छी-खासी बचत भी हो जाती है।
कर बचत के लिए सही जरिया चुनना मुख्यत: चार बातों पर निर्भर है: कर लाभ कैसे पाएं, कर बचत साधन, अवधि, और कर देयता की स्थिति। इस मामले में किसी खास लक्ष्य से जुड़ा कर बचत साधन चुनना भी उतना ही जरूरी है।
कर लाभ कैसे प्राप्त करें: आयकर की धारा 80 सी के तहत कोई भी आयकरदाता एक या कई योग्य निवेश साधनों में निवेश या विनिर्दिष्ट खर्च करके साल भर में 1.5 लाख रुपये तक का कर लाभ ले सकता है। योग्य निवेश साधन में शामिल हैं-जीवन बीमा, इक्विटी-लिंक्ड बचत योजना (ईएलएसएस) म्युचुअल फंड, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) इत्यादि। दूसरी ओर विनिर्दिष्ट खर्च और आउटफ्लो में ट्यूशन फीस, होम लोन के मूलधन का भुगतान। यदि किसी करदाता ने 1.5 लाख रुपये कर बचत की सालाना सीमा पार कर दी है, तो वो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में निवेश कर अतिरिक्त 50 हजार रुपए की कर बचत कर सकता है। इस प्रक्रिया में सेवानिवृत फंड बनाने के साथ-साथ अतिरिक्त कर बचाया जा सकता है। 2015-16 के बाद से 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त कटौती संभव है। इस प्रकार 30 फीसदी आयकर स्लैब वाले कुछ आयकर दाता इसके जरिये अतिरिक्त 15,000 रुपये की सालाना बचत कर सकते हैं।
आयकर की धारा 80 डी के तहत कोई भी आयकरदाता अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर लाभ उठा सकता है। अगर 60 साल से कम उम्र है तो सालाना 25,000 रुपये का कर लाभ मिलेगा और अगर 60 साल से अधिक उम्र है तो 30,000 रुपये का कर लाभ मिलेगा। अगर कोई व्यक्ति होम लोन लिए हुए है, तो वह आयकर की धारा 24 के तहत ब्याज भुगतान पर कर लाभ का दावा कर सकता है। अन्य कर कटौती में शामिल है धारा 80 जी के तहत दान और धारा 80 ई के तहत शिक्षा ऋण पर ब्याज भुगतान।
कर-बचत साधन: आयकर की धारा 80 सी के तहत निवेश साधनों में दो विकल्प मौजूद हैं - " निश्चित और आश्वस्त रिटर्न" तथा "बाजार आधारित रिटर्न"। पहले वाले विकल्प में ऋण संपत्तियां, जिनमें अधिसूचित बैंक के कम से कम पांच वर्ष की फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम, एंडॉमेंट, पीपीएफ, एनएससी, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएससी) आदि शामिल हैं। वहीं 'बाजार आधारित रिटर्न' विकल्प के तहत मुख्यतः इक्विटी परिसंपत्ति से जुड़े साधन आते हैं। दूसरे विकल्प में आप म्युचुअल फंड्स की ईएलएसएस और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) के अलावा पेंशन योजना एनपीएस को चुन सकते हैं।
अवधि: उपरोक्त सभी कर-बचत साधन मध्यम से लेकर लंबी अवधि के प्रोडक्ट हैं। इसमें 3 साल की लॉक-इन पीरियड वाली ईएलएसएस है तो 15 साल के लॉक-इन पीरियड वाला पीपीएफ।
ब्याज की कर देयता: दूसरी बात, जो महत्वपूर्ण है वह है कर-बचत साधनों का कर-पश्चात रिटर्न। मसलन, एनएससी निश्चित और आश्वस्त रिटर्न देने वाला प्रोडक्ट है जिसमें निवेश करने पर धारा 80 सी के तहत कर लाभ मिलता है। इस पर फिलहाल सालाना 8.1 फीसदी (पांच साल) का ब्याज मिलता है लेकिन ब्याज आय पर कर देना पड़ता है। उच्चतम करदाताओं के लिए प्रभावी कर-पश्चात रिटर्न 5.60 फीसदी होता है। सभी कर-बचत साधनों में से केवल पीपीएफ, ईपीएफ, ईएलएसएस और बीमा योजनाओं को ही ईईई का दर्जा हासिल है, अर्थात इनमें निवेश के तीनों स्तरों-निवेश, विकास और निकासी के दौरान कर-छूट दी जाती है। छह फीसदी की वार्षिक मुद्रास्फीति दर को देखते हुए असली रिटर्न लगभग शून्य है! मुद्रास्फीति पैसे की क्रय शक्ति को कम कर देती है, विशेष रूप से लंबी अवधि में।
सही विकल्प चुनना
सबसे पहले मध्यम या लंबी अवधि का लक्ष्य तय करें। लंबी अवधि का लक्ष्य हासिल करने के लिए इक्विटी आधारित कर-बचत साधन उपयुक्त होगा, क्योंकि इक्विटी को प्रदर्शन करने के लिए समय चाहिए। चुंकि धन लंबे समय तक जमा रहता है, इसलिए कर-मुक्त निवेश की कोशिश करें। और अगर किसी कर योग्य निवेश साधन में पैसा लगाना चाहते हैं तो सबसे पहले आप पर लागू होने वाली कर की दर देखें और फिर कर-पश्चात रिटर्न पर विचार करें। एक बात याद रखें मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद कम कर-पश्चात रिटर्न वाले साधन के जरिये आप लंबी अवधि का अपना लक्ष्य नहीं हासिल कर सकते हैं।
निष्कर्ष
कुशल कर योजना मुख्य तौर पर प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत में शुरू होनी चाहिए। याद रखें हड़बड़ी में कर-बचत की योजना बनाने से जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, ऐसे मौकों पर कोई अनुपयुक्त उत्पाद को चुनने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।
इसके अलावा, ऐसा एक भी निवेश साधन नहीं है जो कर बचत के साथ-साथ सुरक्षित, निश्चित और काफी अधिक रिटर्न भी दे। निवेश साधनों की आपकी अंतिम पसंद कई कारकों पर निर्भर होनी चाहिए ना कि सिर्फ वित्तीय प्रोडक्ट या निवेश साधन से मिलने वाले रिटर्न के आधार पर।
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स