यहां बताया गया है की कैसे गैर प्रवासी भारतीय उनके टी.डी.एस रिफंड का दावा कर सकते हैं|

एक गैर प्रवासी भारतीय होने के नाते, जब आपकी टैक्स देयता आपके आय से कटे टी.डी.एस से कम हो, तो आप आयकर रिफंड का दावा कर सकते हैं | यहाँ बताया गया है कैसे करना है |

यहां बताया गया है की कैसे गैर प्रवासी भारतीय उनके टी.डी.एस रिफंड का दावा कर सकते हैं|

एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते, आपने निःसंदेह समय से पहले ही अपनी आयकर चूका दी होगी| आपने अपने नियोक्ता को टी.डी.एस देखने के लिए सभी ज़रूरी दस्तावेज़ भी सौंप दिए होंगे|

परन्तु क्या यदि आपकी टैक्स की देयता टी.डी.एस से कम है?  अब आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं हैं क्योकि आप टी.डी.एस के अंतर्गत काटे गए ज्यादा राशि के रिफंड का दावा कर सकते हैं |

गैर प्रवासी भारतीय के लिए टी.डी.एस

एक एन.आर.आई के रूप में , आपको भारत में अपनी आय के प्रकार के आधार पर टैक्स चुकाना पड़ता है,जैसे की आपकी वेतन आय पर ,यदि आपकी सेवाएं भारत में प्रदान की जा रही है |

हालाँकि, यहाँ अलग आय के लिए विभिन्न दरे हैं उनके प्रकार अनुसार।

क्या आप एक गैर प्रवासी भारतीय हैं? यहाँ बताया गया है कैसे आप टी.डी.एस रिफंड का दावा करें

*  जहाँ एक एन.आर.आई होने के बावजूद टैक्स निर्धारिती  की कुल आय ,में शामिल है निवेश से अर्जित कोई आय या किसी विशेष पूंजी के अलावा अन्य किसी पूंजी के एल.टी.सी.जी से अर्जित आय।

धारा 111अ उन स्थितियों में लागू होता है जब इक्विटी शेयर्स या इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड की इकाइयां या व्यापार ट्रस्ट की इकाइयों के स्थानांतरण से एस.टी.सी.जी  उत्पन्न होता है, जो  दिनांक 1-10-2004 को या उसके पश्चात किसी प्रतिष्ठित  स्टॉक एक्सचेंज से स्थानांतरित किया गया हो और ऐसे लेन देन सिक्युरिटीज़ ट्रांजेक्शन टैक्स (एस.टी.टी)के लिए जवाब देही होते हैं ।

संबंधित : एन. आर.आई अब पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में निवेश के लिए मान्य नहीं होते हैं ।

डि.टी.ए.ए के माध्यम से टी.डी.एस बचाएँ

यदि आप किसी ऐसे देश में निवास करते हैं जहाँ डबल टैक्सेशन अवोइडेंस  एग्रीमेंट (डि.टी.ए.ए) भारत के साथ है ,तो यह आपकी टैक्स की देनदारी को बहुत ज़्यादा कम करने में मदद कर सकता है ।

डि.टी.ए.ए क्या है?

डि.टी.ए.ए  दो देशों के बीच हस्ताक्षरित एक समझौता है - इस स्थिति में,भारत और जिस देश में आप निवास करते हैं । यह डि.टी.ए.ए समझौता भारतीय नागरिकों के लिए कुछ इस तरह बनाया गया है जिससे कि टैक्स अदाकर्ता को एक ही आय के लिए 2 बार टैक्स न चुकाना पड़े, एक अपने निवासी देश में और दूसरा, स्त्रोत देश में । भारत का विश्व भर में मौजूदा 80 देशों के साथ डि.टी.ए.ए  है ।

डि.टी.ए.ए कैसे काम करता है ?

डि.टी.ए.ए, भारत में अर्जित आय पर आपके टैक्स प्रभाव को कम करता है । भारत में अर्जित आय पर डि.टी.ए.ए अनुसार ,टी.डी.एस में कटौती की दर निश्चित है । ज़्यादातर, डि.टी.ए.ए  प्रावधान  आई.टी अधिनियम को रद्द करता है ।

संबंधित : अपने आइ.टी रिटर्न दर्ज करते वक़्त आठ इनकम जो आपको नहीं छोड़नी चाहिए ।

डि.टी.ए.ए के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ :

डि.टी.ए.ए से अपने टैक्स छूट के लाभों को प्राप्त करने के लिए, निम्न दस्तावेज़ो को सौंपे :

  • टैक्स निवास प्रमाण पत्र : जिस देश में आप निवास कर रहे हैं , वहाँ से टैक्स निवास प्रमाण पत्र प्राप्त कीजिए। यह तब जारी होता है जब आप सारे ज़रूरी दस्तावेज़ और निर्धारित शुल्क जमा करते हैं जिसमें सामान्य जानकारी मौजूद है जैसे की नाम , स्थिति   ( एकल, कंपनी, फर्म आदि ), पता, नागरिकता, देश, जिस देश में निवास करते हैं , उसका टैक्स पहचान क्रमांक ,  टैक्स स्थिति, टैक्स प्रमाण पत्र जारी करने की अवधि आदि।
  • स्व-घोषणा पत्र सहित क्षतिपूर्ति फॉर्म: यह फ़ॉर्म जिस देश में आप निवास करते हैं उसकी सरकार द्वारा एक घोषणा होता है । इसमें जानकारियां होती है जैसे की खाता क्रमांक,निवास करने वाला देश,  टी.आर.सी. सौंपने की अवधि, डी.टी.ए.ए के अंतर्गत लागू टैक्स दर आदि।

साथ ही, आपको पासपोर्ट,वीज़ा और पैन की सत्यापित प्रतियां जमा करने होंगे ।

संबंधित : शीर्ष छह सबसे आम गलतियाँ आई.टी रिटर्न दर्ज करते वक़्त जिनसे आपको बचना चाहिए ।

अपने रिफंड का दावा करने की प्रक्रिया आसान है, आईये आपको चरणों के माध्यम से ले जाते हैं :

एक आई.टी रिफंड दर्ज करते वक्त उठाए जाने वाले क़दम :

1. अपने दस्तावेज़ इकट्ठा करे :  

अपने रिटर्न दर्ज करने के लिए ज़रूरी सारे महत्वपूर्ण काग़ज़ इकट्ठा करे । इनमें शामिल होंगे आपका पैन,पासपोर्ट और बैंक का विवरण । फार्म 26 AS  आपको इस वर्ष की टी.डी.एस.एस कटौती के बारे में ज़रूरी जानकारी देता है । साथ ही,यदि आप नौकरीपेशा इंसान है ,तो फ़ॉर्म 16 आप का टी.डी.एस निर्धारित करता है ।आपको "अन्य स्त्रोतों से आय"  शीर्ष मे अर्जित आय का विवरण जैसे की ब्याज आय और टी.डी.एस प्रमाण पत्र भी देना होगा।

2. आई.टी रिटर्न दर्ज करना :

अ)  ई फ़ाइलिंग पोर्टल में जाईए (https://portal.incometaxindiaefiling.gov.in) और अपने यूज़र आई.डी (आपका पैन) और पासवर्ड से लॉगिन कीजिए ।

ब) आपके लिए उपयुक्त आई.टी. आर फ़ॉर्म डाउनलोड कीजिये या तो आई.टी.आर 2 या आई.टी.आर 3 , भारत में आप  जिस प्रवृत्ति की आय प्राप्त करते हैं ,उसके अनुसार । यदि आप की कारोबारी आय हैं,तो आप को  आई.टी.आर 3 दर्ज करने की ज़रूरत होगी। यदि कारोबारी आय न हो,तो आई.टी.आर 2 लागू होगा |

स) सामान्य जानकारियां भरिए और 'प्री-फिल' बटन को दबाईए।

द) सारी ज़रूरी जानकारियां डाले और आपके टैक्स और ब्याज की देनदारी का आकलन करने के लिए 'कैलकुलेट' बटन दबाईए।

इ)  एक बार आपने सभी महत्वपूर्ण जानकारियां भर दी है तो आप के रजिस्टर्ड नंबर पर आया वन टाइम पासवर्ड डालकर 'वैलीडेट' दबाएँ ।

फ) एक्स.एम.एल फ़ाइलों को जनरेट करके सेव करें । अपने  कंप्यूटर पर यह फ़ाइल सेव करें ।

ज) पोर्टल पर दोबारा जाएं और सेव किया गया है XML फ़ाइल अपलोड करें  ।अपना डिजिटल हस्ताक्षर  उसके साथ जोड़ें । ( डिजिटल हस्ताक्षर इलेक्ट्रॉनिकली साइन दस्तावेजों और फ़ॉर्म के लिए उपयोग में आता है )

सम्बंधित : फॉर्म 26 AS के लिए गाइड 

अपने रिटर्न को जांचे 

एक बार आपने आई.टी. रिटर्न  दर्ज़ कर दिया ,आपको उसकी जांच करने की ज़रूरत होगी | एक बार आपने XML फाइल अपलोड कर दिया, तो आई.टी.आर -वी नामक एक फॉर्म उत्पन्न होगा | यह फॉर्म सत्यापन के लिए होता है, इसीलिए इसे डाउनलोड करे | आप यह फॉर्म आई.टी विभाग से अपने इ-मेल आई.डी पर भी प्राप्त कर सकते हैं | 

एक बार आपने आई.टी.आर को डी.एस.सी के साथ अपलोड कर दिया ,तो आपके फाइलिंग की प्रक्रिया समाप्त होती है | वैकल्पिक रूप से, आप फॉर्म की एक कॉपी को प्रिंट कर ,हस्ताक्षर कर के आई.टी.आर-वी को इ-फाइलिंग के दिनाक के १२० दिन के भीतर  सेंट्रलीसेड प्रोसेसिंग सेंटर में जमा कर सकते हैं ,निम्न पते पर : CPC ,पोस्ट बैग नंबर १,इलेक्ट्रॉनिक सिटी PO ,बेंगलुरु 560100 ,कर्नाटक 

एक बार आपका फॉर्म आई.टी. विभाग तक पहुंचजाएगा,तो आपके रिटर्न की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी |

निष्कर्ष: आपको आपके नियोक्ता द्वारा काटे गए ज्यादा टी.डी.एस की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है |आप आई.टी रिटर्न दर्ज़ करके इसका दवा कर सकते हैं | आपको केवल अपनी आय के हिसाब से होने वाली टी.डी. एस कटौतियों की जानकारी होनी चाहिए | एक गैर प्रवासी भारतीय होने के कारण,आपको एक साथ दोनों देशो के टैक्स कानूनों का अनुसरण करना है,जिससे आपकी टैक्स देनदारी बढ़ सकती है | 

खुशकिस्मती से, यदि आप किसी ऐसे देश में निवास करते हैं जिसका भारत के साथ डी.टी.ए.ए है,तो आप कुछ हद तक अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं | इसलिए ऊपर बताए गए जानकारियों से खुदको अपडेट रखे | 

एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते, आपने निःसंदेह समय से पहले ही अपनी आयकर चूका दी होगी| आपने अपने नियोक्ता को टी.डी.एस देखने के लिए सभी ज़रूरी दस्तावेज़ भी सौंप दिए होंगे|

परन्तु क्या यदि आपकी टैक्स की देयता टी.डी.एस से कम है?  अब आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं हैं क्योकि आप टी.डी.एस के अंतर्गत काटे गए ज्यादा राशि के रिफंड का दावा कर सकते हैं |

गैर प्रवासी भारतीय के लिए टी.डी.एस

एक एन.आर.आई के रूप में , आपको भारत में अपनी आय के प्रकार के आधार पर टैक्स चुकाना पड़ता है,जैसे की आपकी वेतन आय पर ,यदि आपकी सेवाएं भारत में प्रदान की जा रही है |

हालाँकि, यहाँ अलग आय के लिए विभिन्न दरे हैं उनके प्रकार अनुसार।

क्या आप एक गैर प्रवासी भारतीय हैं? यहाँ बताया गया है कैसे आप टी.डी.एस रिफंड का दावा करें

*  जहाँ एक एन.आर.आई होने के बावजूद टैक्स निर्धारिती  की कुल आय ,में शामिल है निवेश से अर्जित कोई आय या किसी विशेष पूंजी के अलावा अन्य किसी पूंजी के एल.टी.सी.जी से अर्जित आय।

धारा 111अ उन स्थितियों में लागू होता है जब इक्विटी शेयर्स या इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड की इकाइयां या व्यापार ट्रस्ट की इकाइयों के स्थानांतरण से एस.टी.सी.जी  उत्पन्न होता है, जो  दिनांक 1-10-2004 को या उसके पश्चात किसी प्रतिष्ठित  स्टॉक एक्सचेंज से स्थानांतरित किया गया हो और ऐसे लेन देन सिक्युरिटीज़ ट्रांजेक्शन टैक्स (एस.टी.टी)के लिए जवाब देही होते हैं ।

संबंधित : एन. आर.आई अब पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में निवेश के लिए मान्य नहीं होते हैं ।

डि.टी.ए.ए के माध्यम से टी.डी.एस बचाएँ

यदि आप किसी ऐसे देश में निवास करते हैं जहाँ डबल टैक्सेशन अवोइडेंस  एग्रीमेंट (डि.टी.ए.ए) भारत के साथ है ,तो यह आपकी टैक्स की देनदारी को बहुत ज़्यादा कम करने में मदद कर सकता है ।

डि.टी.ए.ए क्या है?

डि.टी.ए.ए  दो देशों के बीच हस्ताक्षरित एक समझौता है - इस स्थिति में,भारत और जिस देश में आप निवास करते हैं । यह डि.टी.ए.ए समझौता भारतीय नागरिकों के लिए कुछ इस तरह बनाया गया है जिससे कि टैक्स अदाकर्ता को एक ही आय के लिए 2 बार टैक्स न चुकाना पड़े, एक अपने निवासी देश में और दूसरा, स्त्रोत देश में । भारत का विश्व भर में मौजूदा 80 देशों के साथ डि.टी.ए.ए  है ।

डि.टी.ए.ए कैसे काम करता है ?

डि.टी.ए.ए, भारत में अर्जित आय पर आपके टैक्स प्रभाव को कम करता है । भारत में अर्जित आय पर डि.टी.ए.ए अनुसार ,टी.डी.एस में कटौती की दर निश्चित है । ज़्यादातर, डि.टी.ए.ए  प्रावधान  आई.टी अधिनियम को रद्द करता है ।

संबंधित : अपने आइ.टी रिटर्न दर्ज करते वक़्त आठ इनकम जो आपको नहीं छोड़नी चाहिए ।

डि.टी.ए.ए के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ :

डि.टी.ए.ए से अपने टैक्स छूट के लाभों को प्राप्त करने के लिए, निम्न दस्तावेज़ो को सौंपे :

  • टैक्स निवास प्रमाण पत्र : जिस देश में आप निवास कर रहे हैं , वहाँ से टैक्स निवास प्रमाण पत्र प्राप्त कीजिए। यह तब जारी होता है जब आप सारे ज़रूरी दस्तावेज़ और निर्धारित शुल्क जमा करते हैं जिसमें सामान्य जानकारी मौजूद है जैसे की नाम , स्थिति   ( एकल, कंपनी, फर्म आदि ), पता, नागरिकता, देश, जिस देश में निवास करते हैं , उसका टैक्स पहचान क्रमांक ,  टैक्स स्थिति, टैक्स प्रमाण पत्र जारी करने की अवधि आदि।
  • स्व-घोषणा पत्र सहित क्षतिपूर्ति फॉर्म: यह फ़ॉर्म जिस देश में आप निवास करते हैं उसकी सरकार द्वारा एक घोषणा होता है । इसमें जानकारियां होती है जैसे की खाता क्रमांक,निवास करने वाला देश,  टी.आर.सी. सौंपने की अवधि, डी.टी.ए.ए के अंतर्गत लागू टैक्स दर आदि।

साथ ही, आपको पासपोर्ट,वीज़ा और पैन की सत्यापित प्रतियां जमा करने होंगे ।

संबंधित : शीर्ष छह सबसे आम गलतियाँ आई.टी रिटर्न दर्ज करते वक़्त जिनसे आपको बचना चाहिए ।

अपने रिफंड का दावा करने की प्रक्रिया आसान है, आईये आपको चरणों के माध्यम से ले जाते हैं :

एक आई.टी रिफंड दर्ज करते वक्त उठाए जाने वाले क़दम :

1. अपने दस्तावेज़ इकट्ठा करे :  

अपने रिटर्न दर्ज करने के लिए ज़रूरी सारे महत्वपूर्ण काग़ज़ इकट्ठा करे । इनमें शामिल होंगे आपका पैन,पासपोर्ट और बैंक का विवरण । फार्म 26 AS  आपको इस वर्ष की टी.डी.एस.एस कटौती के बारे में ज़रूरी जानकारी देता है । साथ ही,यदि आप नौकरीपेशा इंसान है ,तो फ़ॉर्म 16 आप का टी.डी.एस निर्धारित करता है ।आपको "अन्य स्त्रोतों से आय"  शीर्ष मे अर्जित आय का विवरण जैसे की ब्याज आय और टी.डी.एस प्रमाण पत्र भी देना होगा।

2. आई.टी रिटर्न दर्ज करना :

अ)  ई फ़ाइलिंग पोर्टल में जाईए (https://portal.incometaxindiaefiling.gov.in) और अपने यूज़र आई.डी (आपका पैन) और पासवर्ड से लॉगिन कीजिए ।

ब) आपके लिए उपयुक्त आई.टी. आर फ़ॉर्म डाउनलोड कीजिये या तो आई.टी.आर 2 या आई.टी.आर 3 , भारत में आप  जिस प्रवृत्ति की आय प्राप्त करते हैं ,उसके अनुसार । यदि आप की कारोबारी आय हैं,तो आप को  आई.टी.आर 3 दर्ज करने की ज़रूरत होगी। यदि कारोबारी आय न हो,तो आई.टी.आर 2 लागू होगा |

स) सामान्य जानकारियां भरिए और 'प्री-फिल' बटन को दबाईए।

द) सारी ज़रूरी जानकारियां डाले और आपके टैक्स और ब्याज की देनदारी का आकलन करने के लिए 'कैलकुलेट' बटन दबाईए।

इ)  एक बार आपने सभी महत्वपूर्ण जानकारियां भर दी है तो आप के रजिस्टर्ड नंबर पर आया वन टाइम पासवर्ड डालकर 'वैलीडेट' दबाएँ ।

फ) एक्स.एम.एल फ़ाइलों को जनरेट करके सेव करें । अपने  कंप्यूटर पर यह फ़ाइल सेव करें ।

ज) पोर्टल पर दोबारा जाएं और सेव किया गया है XML फ़ाइल अपलोड करें  ।अपना डिजिटल हस्ताक्षर  उसके साथ जोड़ें । ( डिजिटल हस्ताक्षर इलेक्ट्रॉनिकली साइन दस्तावेजों और फ़ॉर्म के लिए उपयोग में आता है )

सम्बंधित : फॉर्म 26 AS के लिए गाइड 

अपने रिटर्न को जांचे 

एक बार आपने आई.टी. रिटर्न  दर्ज़ कर दिया ,आपको उसकी जांच करने की ज़रूरत होगी | एक बार आपने XML फाइल अपलोड कर दिया, तो आई.टी.आर -वी नामक एक फॉर्म उत्पन्न होगा | यह फॉर्म सत्यापन के लिए होता है, इसीलिए इसे डाउनलोड करे | आप यह फॉर्म आई.टी विभाग से अपने इ-मेल आई.डी पर भी प्राप्त कर सकते हैं | 

एक बार आपने आई.टी.आर को डी.एस.सी के साथ अपलोड कर दिया ,तो आपके फाइलिंग की प्रक्रिया समाप्त होती है | वैकल्पिक रूप से, आप फॉर्म की एक कॉपी को प्रिंट कर ,हस्ताक्षर कर के आई.टी.आर-वी को इ-फाइलिंग के दिनाक के १२० दिन के भीतर  सेंट्रलीसेड प्रोसेसिंग सेंटर में जमा कर सकते हैं ,निम्न पते पर : CPC ,पोस्ट बैग नंबर १,इलेक्ट्रॉनिक सिटी PO ,बेंगलुरु 560100 ,कर्नाटक 

एक बार आपका फॉर्म आई.टी. विभाग तक पहुंचजाएगा,तो आपके रिटर्न की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी |

निष्कर्ष: आपको आपके नियोक्ता द्वारा काटे गए ज्यादा टी.डी.एस की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है |आप आई.टी रिटर्न दर्ज़ करके इसका दवा कर सकते हैं | आपको केवल अपनी आय के हिसाब से होने वाली टी.डी. एस कटौतियों की जानकारी होनी चाहिए | एक गैर प्रवासी भारतीय होने के कारण,आपको एक साथ दोनों देशो के टैक्स कानूनों का अनुसरण करना है,जिससे आपकी टैक्स देनदारी बढ़ सकती है | 

खुशकिस्मती से, यदि आप किसी ऐसे देश में निवास करते हैं जिसका भारत के साथ डी.टी.ए.ए है,तो आप कुछ हद तक अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं | इसलिए ऊपर बताए गए जानकारियों से खुदको अपडेट रखे | 

संवादपत्र

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