- Date : 28/06/2021
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पता करें कि अगर आपकी टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से कम है तो आयकर रिबेट, छूट और कटौती कैसे लागू होती है.

हालांकि 2.5 लाख रुपये से अधिक की आय पर 5% का टैक्स है, लेकिन अगर आपकी टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से कम है, तो आपको कोई आयकर देने की आवश्यकता नहीं है. यह एक परस्पर विरोधी बयान की तरह लग सकता है. सच तो यह है कि अगर आपकी आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो आपको आयकर देना होगा. हालांकि, अगर यह 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो टैक्स रिबेट के माध्यम से आप टैक्स देने से बच सकते हैं.
दूसरे शब्दों में कहें तो, अगर आपकी नेट टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो आपको धारा 87ए के तहत 12,500 रुपये तक का टैक्स रिबेट मिल सकता है. सलिए ऐसी स्थिति में टैक्स देनदारी शून्य हो जाएगी.
5 लाख रुपये से कम की टैक्सेबल आय, कर व्यवस्था और आईटीआर
भले ही आपकी आय 5 लाख रुपये से थोड़ी कम या ज़्यादा हो, आप अलग-अलग टैक्स लाभों का फायदा उठा कर धारा 87ए के तहत रिबेट पा सकते हैं.
वित्त वर्ष 2020-21 से, नौकरीपेशा लोगों के साथ-साथ, सभी टैक्सपेयर दो आयकर व्यवस्थाओं में से एक को चुन सकते हैं. पुरानी/मौजूदा व्यवस्था से आप टैक्स में छूट और कटौती जैसे लाभ उठा सकते हैं. नई आयकर व्यवस्था आय स्लैब में टैक्स की कम दरों की पेशकश तो करती है लेकिन आप ज़्यादा टैक्स कटौतियों का लाभ नहीं ले सकते.
हालांकि, अगर टैक्सेबल आय 5 लाख से कम है तो आपको टैक्स नहीं देना होगा, फिर भी आपको इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करना होगा. अगर आप आईटीआर फाइल नहीं करते हैं, तो आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है.
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टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से कम होने पर रिबेट संबंधी जानकारी
5 लाख से कम आय वाले टैक्सपेयर्स के लिए कुछ ज़रूरी बातें:
- आयकर जमा के लिए आपको एक टैक्सपेयर और भारत का निवासी होना चाहिए. वहीं दूसरी ओर, 2.5 लाख रुपये तक की आय का स्लैब एचयूएफ और एनआरआई पर भी लागू होता है.
- आपकी टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से 1 रुपये भी ज़्यादा नहीं होनी चाहिए, वर्ना, धारा 87ए के तहत, आप रिबेट क्लेम करने का मौका खो देते हैं.
- अगर आप एक अनिवासी व्यक्ति या एचयूएफ हैं, तो आप इस रिबेट के हकदार नहीं हैं.
- इस रिबेट को क्लेम करने के उद्देश्य से आपकी आय, चालू वर्ष की आय के विरुद्ध सभी आगे बढ़ाए गए पुराने नुकसानों को सेट ऑफ करने के बाद निकाली जाती है.
- आप अपनी उस सामान्य आय के लिए अपनी टैक्स देनदारी के विरुद्ध इस टैक्स रिबेट को क्लेम कर सकते हैं, जिस पर आयकर स्लैब रेट, धारा 112 के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) और लिस्टेड इक्विटी शेयरों पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) पर, साथ ही धारा 111ए के तहत इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड पर भी (जिस पर 15% की एक फ्लैट दर पर टैक्स देना होता है) टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, धारा 112ए के तहत लिस्टेड इक्विटी शेयरों से एलटीसीजी पर या इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड बेचने पर टैक्स देना पड़ता है. 1 लाख रुपये की छूट के बाद सेक्शन 112ए के तहत 10% टैक्स लगता है.
- आपको 12,500 रुपये का टैक्स रिबेट मिलेगा और आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.
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5 लाख रुपये से कम आय होने पर मिलने वाले लाभ
धारा 87A के लाभ तब मिलते हैं जब टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से कम हो. सकल कुल आय से सभी कटौतियों और भत्तों को घटाने से टैक्सेबल आय मिलती है. तो, रिबेट के अलावा, पुरानी कर व्यवस्था में आप इन छूटों और कटौतियों का भी लाभ उठा सकते हैं.
- छूट: वेतन से टैक्सेबल आय कैलकुलेट करने में आम तौर पर उन भत्तों पर विचार किया जाता है जिन पर छूट मिलती है. इसमें हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए छूट), लीव ट्रैवल अलाउंस, मोबाइल रीइंबर्समेंट, फूड कूपन, रिलोकेशन अलाउंस, चाइल्ड अलाउंस आदि शामिल हैं, जो सैलरी पर इनकम टैक्स का एक सामान्य हिस्सा हैं. नई कर व्यवस्था के तहत आय के 13 घटक जिन्हें छूट दी गई है
- कटौती: 5 लाख रुपये से कम आय वाले टैक्सपेयर्स को कटौती का लाभ मिलता है. इनमें धारा 80सी, 80सीसीसी, और 80सीसीडी(1), चिकित्सा व्यय और बीमा प्रीमियम (धारा 80डी), होम लोन पर ब्याज (धारा 80सी और धारा 24), हायर स्टडीज़ के लिए लोन (धारा 80ई), दान (धारा 80जी), बचत खाते के ब्याज पर कटौती (धारा 80टीटीए) और होम लोन पर ब्याज (धारा 80ईई/ईईए) के तहत कटौती शामिल है.
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और आखिर में
टैक्स लाभ के रूप में आप जो अमाउंट क्लेम कर सकते हैं, वह हरेक छूट और कटौती के लिए निर्धारित अधिकतम सीमा पर निर्भर करता है. 5 लाख रुपये से कम की टैक्सेबल आय सेट करने के लिए आप इन टैक्स लाभों का इस्तेमाल कर सकते हैं, भले ही कुल आय 5 लाख रुपये से ज़्यादा हो. इसके अलावा, ये सभी लाभ वे लोग भी पा सकते हैं जिनकी कुल आय 5 लाख रुपये से कम है. अपना आयकर रिटर्न खुद भरने के लिए गाइड
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ़ आम जानकारी देना है और इसे निवेश या टैक्स या कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. इन क्षेत्रों में निर्णय लेते समय आपको अलग से स्वतंत्र सलाह लेनी चाहिए.
जानकारी के सोर्स:
हालांकि 2.5 लाख रुपये से अधिक की आय पर 5% का टैक्स है, लेकिन अगर आपकी टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से कम है, तो आपको कोई आयकर देने की आवश्यकता नहीं है. यह एक परस्पर विरोधी बयान की तरह लग सकता है. सच तो यह है कि अगर आपकी आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो आपको आयकर देना होगा. हालांकि, अगर यह 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो टैक्स रिबेट के माध्यम से आप टैक्स देने से बच सकते हैं.
दूसरे शब्दों में कहें तो, अगर आपकी नेट टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो आपको धारा 87ए के तहत 12,500 रुपये तक का टैक्स रिबेट मिल सकता है. सलिए ऐसी स्थिति में टैक्स देनदारी शून्य हो जाएगी.
5 लाख रुपये से कम की टैक्सेबल आय, कर व्यवस्था और आईटीआर
भले ही आपकी आय 5 लाख रुपये से थोड़ी कम या ज़्यादा हो, आप अलग-अलग टैक्स लाभों का फायदा उठा कर धारा 87ए के तहत रिबेट पा सकते हैं.
वित्त वर्ष 2020-21 से, नौकरीपेशा लोगों के साथ-साथ, सभी टैक्सपेयर दो आयकर व्यवस्थाओं में से एक को चुन सकते हैं. पुरानी/मौजूदा व्यवस्था से आप टैक्स में छूट और कटौती जैसे लाभ उठा सकते हैं. नई आयकर व्यवस्था आय स्लैब में टैक्स की कम दरों की पेशकश तो करती है लेकिन आप ज़्यादा टैक्स कटौतियों का लाभ नहीं ले सकते.
हालांकि, अगर टैक्सेबल आय 5 लाख से कम है तो आपको टैक्स नहीं देना होगा, फिर भी आपको इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करना होगा. अगर आप आईटीआर फाइल नहीं करते हैं, तो आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है.
इससे मिलती-जुलती: यहां बताया गया है कि अगर आप 7.7 लाख रुपये तक कमा रहे हैं तो आप जीरो टैक्स कैसे चुका सकते हैं
टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से कम होने पर रिबेट संबंधी जानकारी
5 लाख से कम आय वाले टैक्सपेयर्स के लिए कुछ ज़रूरी बातें:
- आयकर जमा के लिए आपको एक टैक्सपेयर और भारत का निवासी होना चाहिए. वहीं दूसरी ओर, 2.5 लाख रुपये तक की आय का स्लैब एचयूएफ और एनआरआई पर भी लागू होता है.
- आपकी टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से 1 रुपये भी ज़्यादा नहीं होनी चाहिए, वर्ना, धारा 87ए के तहत, आप रिबेट क्लेम करने का मौका खो देते हैं.
- अगर आप एक अनिवासी व्यक्ति या एचयूएफ हैं, तो आप इस रिबेट के हकदार नहीं हैं.
- इस रिबेट को क्लेम करने के उद्देश्य से आपकी आय, चालू वर्ष की आय के विरुद्ध सभी आगे बढ़ाए गए पुराने नुकसानों को सेट ऑफ करने के बाद निकाली जाती है.
- आप अपनी उस सामान्य आय के लिए अपनी टैक्स देनदारी के विरुद्ध इस टैक्स रिबेट को क्लेम कर सकते हैं, जिस पर आयकर स्लैब रेट, धारा 112 के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) और लिस्टेड इक्विटी शेयरों पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) पर, साथ ही धारा 111ए के तहत इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड पर भी (जिस पर 15% की एक फ्लैट दर पर टैक्स देना होता है) टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, धारा 112ए के तहत लिस्टेड इक्विटी शेयरों से एलटीसीजी पर या इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड बेचने पर टैक्स देना पड़ता है. 1 लाख रुपये की छूट के बाद सेक्शन 112ए के तहत 10% टैक्स लगता है.
- आपको 12,500 रुपये का टैक्स रिबेट मिलेगा और आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.
इससे मिलती-जुलती: 8 आय जो आपको अपना आईटी रिटर्न दाखिल करते समय भूलनी नहीं चाहिएं
5 लाख रुपये से कम आय होने पर मिलने वाले लाभ
धारा 87A के लाभ तब मिलते हैं जब टैक्सेबल आय 5 लाख रुपये से कम हो. सकल कुल आय से सभी कटौतियों और भत्तों को घटाने से टैक्सेबल आय मिलती है. तो, रिबेट के अलावा, पुरानी कर व्यवस्था में आप इन छूटों और कटौतियों का भी लाभ उठा सकते हैं.
- छूट: वेतन से टैक्सेबल आय कैलकुलेट करने में आम तौर पर उन भत्तों पर विचार किया जाता है जिन पर छूट मिलती है. इसमें हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए छूट), लीव ट्रैवल अलाउंस, मोबाइल रीइंबर्समेंट, फूड कूपन, रिलोकेशन अलाउंस, चाइल्ड अलाउंस आदि शामिल हैं, जो सैलरी पर इनकम टैक्स का एक सामान्य हिस्सा हैं. नई कर व्यवस्था के तहत आय के 13 घटक जिन्हें छूट दी गई है
- कटौती: 5 लाख रुपये से कम आय वाले टैक्सपेयर्स को कटौती का लाभ मिलता है. इनमें धारा 80सी, 80सीसीसी, और 80सीसीडी(1), चिकित्सा व्यय और बीमा प्रीमियम (धारा 80डी), होम लोन पर ब्याज (धारा 80सी और धारा 24), हायर स्टडीज़ के लिए लोन (धारा 80ई), दान (धारा 80जी), बचत खाते के ब्याज पर कटौती (धारा 80टीटीए) और होम लोन पर ब्याज (धारा 80ईई/ईईए) के तहत कटौती शामिल है.
इससे मिलती-जुलती: आयकर अधिनियम की धारा 80 के तहत उपलब्ध कटौती
और आखिर में
टैक्स लाभ के रूप में आप जो अमाउंट क्लेम कर सकते हैं, वह हरेक छूट और कटौती के लिए निर्धारित अधिकतम सीमा पर निर्भर करता है. 5 लाख रुपये से कम की टैक्सेबल आय सेट करने के लिए आप इन टैक्स लाभों का इस्तेमाल कर सकते हैं, भले ही कुल आय 5 लाख रुपये से ज़्यादा हो. इसके अलावा, ये सभी लाभ वे लोग भी पा सकते हैं जिनकी कुल आय 5 लाख रुपये से कम है. अपना आयकर रिटर्न खुद भरने के लिए गाइड
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ़ आम जानकारी देना है और इसे निवेश या टैक्स या कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. इन क्षेत्रों में निर्णय लेते समय आपको अलग से स्वतंत्र सलाह लेनी चाहिए.
जानकारी के सोर्स: