Will New Budget be sympathetic to Middle class: क्या नया बजट देगा मिडिल क्लास को टैक्स राहत?

2023 के बजट से मिडिल क्लास ख़ासी उम्मीदें लगाए हुए है कि शायद इस बार इनकम टैक्स स्लैब में परिवर्तन होगा और कुछ राहत मिलेगी।

Budget 2023 Income Tax slab

New Budget 2023: जनवरी का महीना आते ही आम बजट को लेकर अटकलों का बाजार गर्म होने लगता है। हर तबक़ा अपने लिए किसी खास किस्म की योजना की उम्मीद करने लगता है। वर्तमान में भारत की आर्थिक तरक्की की चर्चा जोर-शोर से हो रही है। इसमें भारत के मध्यम वर्ग की भूमिका बेहद ख़ास है। ऐसे में बजट 2023 को लेकर मध्य वर्ग की यह उम्मीद जरूर होगी कि उनके लिए कुछ विशेष प्रावधान किए जाएँ। हर कोई केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से किसी विशेष प्रावधान की अपेक्षा रखेगा। जानते हैं वे क्षेत्र क्या हो सकते हैं?

भारत की आबादी का बहुत छोटा प्रतिशत आयकर भरता है जिनमें अधिकतम आयकर देने वालों के लिए 30% का अधिकतम स्लैब होता है। यह भारत के आयकर दाताओं का Highest Income Tax Slab है। भारत की पुरानी टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) के अंतर्गत वह हर व्यक्ति जिसकी वार्षिक आमदनी ₹10 लाख या उससे अधिक है उसे यह टैक्स भरना होता है। उसी तरह नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में ₹15 लाख वार्षिक आय वाले लोगों को यह टैक्स देना होता है। हालाँकि नई व्यवस्था में भी किसी तरह की कोई छूट नहीं मिलती है। मध्य वर्ग के लोगों को उम्मीद होगी कि उनके लिए अधिकतम दर के लिए टैक्स स्लैब की सीमा बढ़ाकर ₹20 लाख कर दी जाए। 

यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम

टैक्स रिजीम में सुधार 

टैक्स पेयर्स की सुविधा के लिए 2020 में एक नई टैक्स रिजीम लागू की गई थी। नई रिजीम में इनकम टैक्स की दर को कम तो किया गया था लेकिन यह विकल्प चुनने वालों के लिए किसी तरह की राहत या एक्ज़ेम्प्शन की सुविधा नहीं दी गई थी जिसके कारण यह रिजीम ज्यादा प्रचलित नहीं हुआ। विशेषज्ञों की राय मानें तो यदि इस नई टैक्स रिजीम को अधिक आकर्षक बनाया जाए तो न सिर्फ टैक्स पेयर्स को इससे लाभ मिलेगा बल्कि टैक्स कंप्लायंस में भी बढ़ोतरी होगी जिसका लाभ सरकार को मिलेगा। 

बेसिक एक्ज़ेम्प्श्न लिमिट में वृद्धि 

भारत सरकार द्वारा आयकर के बेसिक एक्ज़ेम्प्शन लिमिट में अंतिम संशोधन 2014-15 में किया गया था। उसके बाद से इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। उसके मुकाबले महंगाई है कि थमने का नाम ही नहीं ले रही जिससे एक्ज़ेम्प्शन और मुद्रास्फीति का अनुपात गड़बड़ा चुका है। यदि सरकार बेसिक एक्ज़ेम्प्शन लिमिट को बढ़ाती है तो इससे मिलने वाले लाभ से लोगों को सहूलियत मिलेगी। वर्तमान में बेसिक एक्ज़ेम्प्शन लिमिट ₹2.5 लाख वार्षिक है और 60-80 वर्ष की आयु के लोगों के लिए यह सीमा ₹3 लाख वार्षिक है। वहीं 80 वर्ष से ऊपर के आयु के नागरिकों के लिए यह सीमा ₹5 लाख है। 

होम लोन टैक्स छूट 

मध्य वर्ग वर्तमान में बढ़ती हुई ब्याज की दरों को लेकर परेशान है। बढ़ती ब्याज दर से मध्य वर्ग के कर दाता पर अतिरिक्त बोझ बढ़ता है। ऐसे में लोगों की उम्मीद होगी कि होम लोन इंट्रेस्ट पर जो ₹1.5 लाख की टैक्स रियायत है उसमें यदि बढ़ोतरी हो सके तो कर दाता को राहत मिलेगी। इससे कमजोर होते रियल एस्टेट कारोबार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 

स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि 

गौरतलब है कि टैक्स पेयर्स को वर्तमान में ₹50 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है लेकिन जब इसे दोबारा लागू किया गया था तब मेडिकल खर्च और आवाजाही के लिए मिलने वाले टैक्स फ्री रिएंबर्समेंट को समाप्त कर दिया गया था। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में ईंधन और दवाओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसे में यदि स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी की जाए तो मिडिल क्लास महंगाई के बोझ से कुछ राहत पा सकेगा।

यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?

New Budget 2023: जनवरी का महीना आते ही आम बजट को लेकर अटकलों का बाजार गर्म होने लगता है। हर तबक़ा अपने लिए किसी खास किस्म की योजना की उम्मीद करने लगता है। वर्तमान में भारत की आर्थिक तरक्की की चर्चा जोर-शोर से हो रही है। इसमें भारत के मध्यम वर्ग की भूमिका बेहद ख़ास है। ऐसे में बजट 2023 को लेकर मध्य वर्ग की यह उम्मीद जरूर होगी कि उनके लिए कुछ विशेष प्रावधान किए जाएँ। हर कोई केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से किसी विशेष प्रावधान की अपेक्षा रखेगा। जानते हैं वे क्षेत्र क्या हो सकते हैं?

भारत की आबादी का बहुत छोटा प्रतिशत आयकर भरता है जिनमें अधिकतम आयकर देने वालों के लिए 30% का अधिकतम स्लैब होता है। यह भारत के आयकर दाताओं का Highest Income Tax Slab है। भारत की पुरानी टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) के अंतर्गत वह हर व्यक्ति जिसकी वार्षिक आमदनी ₹10 लाख या उससे अधिक है उसे यह टैक्स भरना होता है। उसी तरह नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में ₹15 लाख वार्षिक आय वाले लोगों को यह टैक्स देना होता है। हालाँकि नई व्यवस्था में भी किसी तरह की कोई छूट नहीं मिलती है। मध्य वर्ग के लोगों को उम्मीद होगी कि उनके लिए अधिकतम दर के लिए टैक्स स्लैब की सीमा बढ़ाकर ₹20 लाख कर दी जाए। 

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टैक्स रिजीम में सुधार 

टैक्स पेयर्स की सुविधा के लिए 2020 में एक नई टैक्स रिजीम लागू की गई थी। नई रिजीम में इनकम टैक्स की दर को कम तो किया गया था लेकिन यह विकल्प चुनने वालों के लिए किसी तरह की राहत या एक्ज़ेम्प्शन की सुविधा नहीं दी गई थी जिसके कारण यह रिजीम ज्यादा प्रचलित नहीं हुआ। विशेषज्ञों की राय मानें तो यदि इस नई टैक्स रिजीम को अधिक आकर्षक बनाया जाए तो न सिर्फ टैक्स पेयर्स को इससे लाभ मिलेगा बल्कि टैक्स कंप्लायंस में भी बढ़ोतरी होगी जिसका लाभ सरकार को मिलेगा। 

बेसिक एक्ज़ेम्प्श्न लिमिट में वृद्धि 

भारत सरकार द्वारा आयकर के बेसिक एक्ज़ेम्प्शन लिमिट में अंतिम संशोधन 2014-15 में किया गया था। उसके बाद से इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। उसके मुकाबले महंगाई है कि थमने का नाम ही नहीं ले रही जिससे एक्ज़ेम्प्शन और मुद्रास्फीति का अनुपात गड़बड़ा चुका है। यदि सरकार बेसिक एक्ज़ेम्प्शन लिमिट को बढ़ाती है तो इससे मिलने वाले लाभ से लोगों को सहूलियत मिलेगी। वर्तमान में बेसिक एक्ज़ेम्प्शन लिमिट ₹2.5 लाख वार्षिक है और 60-80 वर्ष की आयु के लोगों के लिए यह सीमा ₹3 लाख वार्षिक है। वहीं 80 वर्ष से ऊपर के आयु के नागरिकों के लिए यह सीमा ₹5 लाख है। 

होम लोन टैक्स छूट 

मध्य वर्ग वर्तमान में बढ़ती हुई ब्याज की दरों को लेकर परेशान है। बढ़ती ब्याज दर से मध्य वर्ग के कर दाता पर अतिरिक्त बोझ बढ़ता है। ऐसे में लोगों की उम्मीद होगी कि होम लोन इंट्रेस्ट पर जो ₹1.5 लाख की टैक्स रियायत है उसमें यदि बढ़ोतरी हो सके तो कर दाता को राहत मिलेगी। इससे कमजोर होते रियल एस्टेट कारोबार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 

स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि 

गौरतलब है कि टैक्स पेयर्स को वर्तमान में ₹50 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है लेकिन जब इसे दोबारा लागू किया गया था तब मेडिकल खर्च और आवाजाही के लिए मिलने वाले टैक्स फ्री रिएंबर्समेंट को समाप्त कर दिया गया था। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में ईंधन और दवाओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। ऐसे में यदि स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी की जाए तो मिडिल क्लास महंगाई के बोझ से कुछ राहत पा सकेगा।

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संवादपत्र

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