- Date : 20/01/2023
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रेपो रेट में वृद्धि से लोन लेने वालों की परेशानी बढ़ी।

Reserve Bank repo rate: विगत एक वर्ष से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में लगातार कई बार की गई वृद्धि से अगर कोई परेशा न हुआ है तो वो हैं लोन लेने वाले। खासकर होम लोन लेने वालों की हालत सबसे खराब है। कई वर्ष तक ईएमआई भरने पर भी होम लोन का बोझ कम होने की जगह और बढ़ गया है। लोन लेने वालों की ईएमआई काफी बढ़ गई है या फिर लोन चुकाने की अवधि लंबी हो गई है।
मध्यम वर्ग के लोग जिन्होंने लोन लेकर अपना आशियाना बनाया था, ब्याज की इस बढ़ोत्तरी से बेहाल हो रहे हैं। बर्षों से किश्ते चुकाते रहने के बावजूद लोन की रकम या उसे चुकाने की समय सीमा कम नहीं हुई हैं। ब्याज की रकम में बढ़ोत्तरी हुई है पर चुकाए गए ब्याज पर आयकर में मिलने वाली छूट की सीमा में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
ब्याज के इस बोझ को एक उदाहरण से समझते हैं-
अगर किसी ने अप्रैल 2022 में 15 साल के लिए 30 लाख रुपये का होम लोन लिया जिस पर 7.50% वार्षिक ब्याज था। तो उसे 27,810 रुपये की मासिक किस्त चुकानी थी। पहले साल ब्याज के 2,21,184 रुपये देने हैं। ब्याज दर और किस्त यही रहती, तो तीन साल में वार्षिक ब्याज काभुगतान घटकर 2,03,032 रुपये हो जाता। लेकिन अप्रैल से दिसंबर 2022 के बीच रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 2.25% की वृद्धि कर दी, तो होम लोन की नई ब्याज दर 9.75% हो जाएगी। तो अब आपको 15 साल तक 27,810 रुपये की जगह 31,781 रुपये की किस्त चुकानी होगी। इस हिसाब से आपको साल में ब्याज के 2,21,184 रुपये के बदले 2,88,419 रुपये भरने होंगे पर छूट केवल 2 लाख रुपये पर ही मिल पाएगी। कई बैंक आमतौर पर ईएमआई की रकम वही रखकर लोन चुकाने का समय बढ़ा देते हैं। तो अगर आपकी किश्त 27,810 रुपये रखी, तो लोन चुकाने का समय 15 साल से बढ़कर 22 साल हो जाएगा।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
परेशान मध्यम वर्ग को कोई राहत मिलेगी?
रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में जो वृद्धि की है, उससे होमलोन लेने वालों पर ब्याज का बोझ बहुत बढ़ गया है। अगर कोई बैंक या एनबीएफसी होम लोन की दरें रेपो रेट से अधिक बढ़ाता है, तो उनके ग्राहकों को ब्याज में इससे भी अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा। आयकर के मौजूदा नियम साल में 2 लाख से अधिक ब्याज पर राहत नहीं देते। मध्यम वर्ग के लोग यह अपेक्षा रखते हैं कि होम लोन के ब्याज पर मिलने वाली आयकर छूट की सरकार सीमा को 2 लाख से बढ़ाने पर विचार करेगी।
यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?
Reserve Bank repo rate: विगत एक वर्ष से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में लगातार कई बार की गई वृद्धि से अगर कोई परेशा न हुआ है तो वो हैं लोन लेने वाले। खासकर होम लोन लेने वालों की हालत सबसे खराब है। कई वर्ष तक ईएमआई भरने पर भी होम लोन का बोझ कम होने की जगह और बढ़ गया है। लोन लेने वालों की ईएमआई काफी बढ़ गई है या फिर लोन चुकाने की अवधि लंबी हो गई है।
मध्यम वर्ग के लोग जिन्होंने लोन लेकर अपना आशियाना बनाया था, ब्याज की इस बढ़ोत्तरी से बेहाल हो रहे हैं। बर्षों से किश्ते चुकाते रहने के बावजूद लोन की रकम या उसे चुकाने की समय सीमा कम नहीं हुई हैं। ब्याज की रकम में बढ़ोत्तरी हुई है पर चुकाए गए ब्याज पर आयकर में मिलने वाली छूट की सीमा में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
ब्याज के इस बोझ को एक उदाहरण से समझते हैं-
अगर किसी ने अप्रैल 2022 में 15 साल के लिए 30 लाख रुपये का होम लोन लिया जिस पर 7.50% वार्षिक ब्याज था। तो उसे 27,810 रुपये की मासिक किस्त चुकानी थी। पहले साल ब्याज के 2,21,184 रुपये देने हैं। ब्याज दर और किस्त यही रहती, तो तीन साल में वार्षिक ब्याज काभुगतान घटकर 2,03,032 रुपये हो जाता। लेकिन अप्रैल से दिसंबर 2022 के बीच रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 2.25% की वृद्धि कर दी, तो होम लोन की नई ब्याज दर 9.75% हो जाएगी। तो अब आपको 15 साल तक 27,810 रुपये की जगह 31,781 रुपये की किस्त चुकानी होगी। इस हिसाब से आपको साल में ब्याज के 2,21,184 रुपये के बदले 2,88,419 रुपये भरने होंगे पर छूट केवल 2 लाख रुपये पर ही मिल पाएगी। कई बैंक आमतौर पर ईएमआई की रकम वही रखकर लोन चुकाने का समय बढ़ा देते हैं। तो अगर आपकी किश्त 27,810 रुपये रखी, तो लोन चुकाने का समय 15 साल से बढ़कर 22 साल हो जाएगा।
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परेशान मध्यम वर्ग को कोई राहत मिलेगी?
रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में जो वृद्धि की है, उससे होमलोन लेने वालों पर ब्याज का बोझ बहुत बढ़ गया है। अगर कोई बैंक या एनबीएफसी होम लोन की दरें रेपो रेट से अधिक बढ़ाता है, तो उनके ग्राहकों को ब्याज में इससे भी अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा। आयकर के मौजूदा नियम साल में 2 लाख से अधिक ब्याज पर राहत नहीं देते। मध्यम वर्ग के लोग यह अपेक्षा रखते हैं कि होम लोन के ब्याज पर मिलने वाली आयकर छूट की सरकार सीमा को 2 लाख से बढ़ाने पर विचार करेगी।
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