Budget 2023 Mutual funds: क्या बजट 2023 म्यूचुअल फंड उद्योग की अपेक्षाओं को पूरा करेगा!

म्यूचुअल फंड उद्योग को आनेवाले बजट से कई आशाएं हैं।

Budget 2023 Mutual Funds

Budget 2023 Mutual funds: आनेवाला बजट कैसा होगा यह तो बजट आने पर पता चलेगा पर लोगों को इससे बहुत उम्मीद है। खासकर म्यूचुअल फंड के निवेशकों और मूल रूप से म्यूचुअल फंड उद्योग को भी इस बजट से कई उम्मीदें हैं। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का आकार बढ़ रहा है, जिसका मुख्य कारण इस उद्योगों पर निवेशकों का बढ़ता भरोसा है। बाजार के अस्थिर होने पर भी म्यूंचुअल फंड में लगातार एसआईपी के जरिए या एकमुश्त निवेश हुआ है। उद्योग का एसेट अंडर मैनेजमेंट 40 लाख करोड़ से अधिक का है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बजट 2023 में सरकार कर के भार में राहत देती है तो निवेशकों की दिलचस्पी और इस उद्योग का आकार दोनों बढ़ेगा। 

निवेशक म्यू‍चुअल फंड पर भरोसा कर रहे हैं, बीएनपी फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि जब नेशनल पेंसन सिस्टम जैसे रिटायरमंट प्रोडक्ट पर 1.50 लाख के अलावा 50 हजार रुपये की अतिरिक्त‍ छूट मिल रही है तो आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के अंतर्गत ईएलएसएस पर भी कर में छूट की सीमा को 1.50 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी जानी चाहिए। 

यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम

एक जैसे उत्पाद पर लगना चाहिए एक बराबर कर

एएमएफआई यानी एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया की मांग है कि अन्य उत्पादों की तरह म्यूचुअल फंड पर भी कर में छूट दी जानी चाहिए। समान उत्पादों पर एक बराबर कर लगाया जाए तो निवेशक म्यूचुअल फंड में अधिक निवेश करेंगे। 

एके निगम ने कहा कि डेट लिंक्ड स्कीम पर फिक्स्ड इनकम स्कीम से अच्छा लाभ मिलता है। फिक्सड  इनकम वाली सभी स्कीमों पर कर से छूट दी जाती है। डेट लिंक्डल सेविंग्स स्कींम पर यह छूट लागू की जाती है तो निवेशक उनमें रुचि लेंगे। इसलिए डेट लिंक्ड सेविंग्स स्कीम भी ईएलएसएस जैसी होनी चाहिए।

ईएलएसएस के अलावा बीमा, पेंशन फंड, एनपीएस पर कर में मिलने वाले छूट की वजह से ही लोग बीमा उत्पाद और यूलिप खरीदने में दिलचस्पी लेते हैं। ईएलएसएस में निवेश करने का भी यही मुख्य कारण है। इसलिए म्यूचुअल फंड पर भी बीमा या पेंशन फंड स्कीमों की तरह कर में छूट मिलनी चाहिए।

यूलिप जैसे उत्पादों पर अलग एलटीसीजी नियम लागू होते हैं। कुल बीमित राशि चुकाए गए प्रीमियम से 10 गुना होने, 5 साल के लॉक इन के बाद पैसे निकालने और प्रीमियम 2.5 लाख से कम होने पर कोई एलटीसीजी नहीं देना होता है।

लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ यानी एलटीसीजी का निर्धारण करने के लिए म्यूचुअल फंड के एलटीसीजी की समय सीमा एक साल से बढ़ाकर ढाई साल की जानी चाहिए। इससे सबसे अधिक लाभ वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगा। वर्तमान समय में म्यूचुअल फंड यूनिटों को खरीदने के 12 महीने बाद बेचने पर उससे मिले लाभ पर 10 प्रतिशत कर देना पड़ता है।

एएमएफआई ने लाभांश के भुगतान पर लगने वाले टीडीएस के नियमों में भी बदलाव करने को कहा है। वर्तमान में 5 हजार से ज्यादा के लाभांश पर टीडीएस काटा जाता है इस सीमा को 50,000 रुपये करने की मांग की जा रही है।

यह भी पढ़ेंमार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?

Budget 2023 Mutual funds: आनेवाला बजट कैसा होगा यह तो बजट आने पर पता चलेगा पर लोगों को इससे बहुत उम्मीद है। खासकर म्यूचुअल फंड के निवेशकों और मूल रूप से म्यूचुअल फंड उद्योग को भी इस बजट से कई उम्मीदें हैं। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का आकार बढ़ रहा है, जिसका मुख्य कारण इस उद्योगों पर निवेशकों का बढ़ता भरोसा है। बाजार के अस्थिर होने पर भी म्यूंचुअल फंड में लगातार एसआईपी के जरिए या एकमुश्त निवेश हुआ है। उद्योग का एसेट अंडर मैनेजमेंट 40 लाख करोड़ से अधिक का है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बजट 2023 में सरकार कर के भार में राहत देती है तो निवेशकों की दिलचस्पी और इस उद्योग का आकार दोनों बढ़ेगा। 

निवेशक म्यू‍चुअल फंड पर भरोसा कर रहे हैं, बीएनपी फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि जब नेशनल पेंसन सिस्टम जैसे रिटायरमंट प्रोडक्ट पर 1.50 लाख के अलावा 50 हजार रुपये की अतिरिक्त‍ छूट मिल रही है तो आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के अंतर्गत ईएलएसएस पर भी कर में छूट की सीमा को 1.50 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी जानी चाहिए। 

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एक जैसे उत्पाद पर लगना चाहिए एक बराबर कर

एएमएफआई यानी एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया की मांग है कि अन्य उत्पादों की तरह म्यूचुअल फंड पर भी कर में छूट दी जानी चाहिए। समान उत्पादों पर एक बराबर कर लगाया जाए तो निवेशक म्यूचुअल फंड में अधिक निवेश करेंगे। 

एके निगम ने कहा कि डेट लिंक्ड स्कीम पर फिक्स्ड इनकम स्कीम से अच्छा लाभ मिलता है। फिक्सड  इनकम वाली सभी स्कीमों पर कर से छूट दी जाती है। डेट लिंक्डल सेविंग्स स्कींम पर यह छूट लागू की जाती है तो निवेशक उनमें रुचि लेंगे। इसलिए डेट लिंक्ड सेविंग्स स्कीम भी ईएलएसएस जैसी होनी चाहिए।

ईएलएसएस के अलावा बीमा, पेंशन फंड, एनपीएस पर कर में मिलने वाले छूट की वजह से ही लोग बीमा उत्पाद और यूलिप खरीदने में दिलचस्पी लेते हैं। ईएलएसएस में निवेश करने का भी यही मुख्य कारण है। इसलिए म्यूचुअल फंड पर भी बीमा या पेंशन फंड स्कीमों की तरह कर में छूट मिलनी चाहिए।

यूलिप जैसे उत्पादों पर अलग एलटीसीजी नियम लागू होते हैं। कुल बीमित राशि चुकाए गए प्रीमियम से 10 गुना होने, 5 साल के लॉक इन के बाद पैसे निकालने और प्रीमियम 2.5 लाख से कम होने पर कोई एलटीसीजी नहीं देना होता है।

लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ यानी एलटीसीजी का निर्धारण करने के लिए म्यूचुअल फंड के एलटीसीजी की समय सीमा एक साल से बढ़ाकर ढाई साल की जानी चाहिए। इससे सबसे अधिक लाभ वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगा। वर्तमान समय में म्यूचुअल फंड यूनिटों को खरीदने के 12 महीने बाद बेचने पर उससे मिले लाभ पर 10 प्रतिशत कर देना पड़ता है।

एएमएफआई ने लाभांश के भुगतान पर लगने वाले टीडीएस के नियमों में भी बदलाव करने को कहा है। वर्तमान में 5 हजार से ज्यादा के लाभांश पर टीडीएस काटा जाता है इस सीमा को 50,000 रुपये करने की मांग की जा रही है।

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संवादपत्र

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