- Date : 31/01/2022
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- Read in English: What do the experts have to say about the upcoming budget 2022?
भारतीय अर्थव्यवस्था सुधर रही है। राज्यों के चुनाव हर किसी के दिमाग में सबसे ऊपर हैं। सवाल है कि निर्मला सीतारमण का बजट 2022 लोकलुभावन होगा या विकास पर केंद्रित?
1 फरवरी को संसद में पेश होने वाले आगामी बजट को लेकर अटकलें तेज हैं। वेतनभोगी वर्ग को कर राहत की उम्मीद है, स्टार्ट-अप अनुकूल नीतियों की तलाश में हैं, तो बड़े कारोबारियों को सुधारों की उम्मीद है।
कोविड-19 का डर अभी भी मंडरा रहा है और विश्व अर्थव्यवस्था के विकास के लिए खतरा बना हुआ है। सवाल है कि क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन चुनौतियों से निपटने का उपाय करेंगी? किन सेक्टरों को मिलेगा बढ़ावा और किनको नहीं? बजट 2022 के लिए कुछ उम्मीदों और संभावनाओं पर एक नजर।
स्वास्थ्य देखभाल:
महामारी अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। इसलिये स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को कुछ रियायतें और राहत मिलने की संभावना है। जानकारों को उम्मीद है कि स्वास्थ्य सेवा के लिए सरकार के बजट आवंटन में वृद्धि हो सकती है। चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार में निवेश को बढ़ावा देने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
कारोबार के साथ-साथ आम व्यक्तियों के लिए भी कर राहत की उम्मीद है। हेल्थकेयर स्टार्ट-अप्स के लिए टैक्स हॉलिडे और प्राइवेट प्लेयर्स के लिए टैक्स ब्रेक उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
वेतनभोगी वर्ग के लिए प्रीमियम छूट में बढ़ोतरी से अधिक लोगों को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें:बजट 2021 में नए कोविड-19 उपकर
ग्रामीण भारत:
चुनाव नजदीक है। इसलिये ऐसी नीतियों की घोषणा होने की संभावना है जिससे उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को लाभ हो। युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने और कुशलता बढ़ाने के अवसर प्रदान करने पर ध्यान दिया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, बुनियादी ढांचे और बिजली के लिए अधिक संसाधन आवंटित किये जाने की उम्मीद है। गरीबी उन्मूलन के प्रयास जारी रहेंगे।
पूंजीगत व्यय:
उच्च राजकोषीय घाटे और राज्यों के चुनावों के कारण छूट की संभावना को देखते हुए, सवाल उठाया जा रहा है कि क्या आगामी बजट में पूंजीगत व्यय को कम करने पर ध्यान दिया जा सकता है। हालांकि यह एक अच्छा कदम हो सकता है, लेकिन आर्थिक विकास पर जोर देने की वजह से इसकी संभावना नहीं है। बुनियादी ढांचे, परिवहन और रेलवे सुधार में खर्च पर सरकार की अच्छी वृद्धि जारी रह सकती है।
टैक्स:
टैक्स व्यवस्था को और तर्कसंगत बनाए जाने की अटकलें हैं, जिसके तहत टैक्स की दरों में कुछ संशोधन किया जा सकता है। जानकारों का मानना है कि जनता से टैक्स वसूलने के तरीके में भारी असमानता के कारण इसकी बहुत जरूरत है। लेकिन, केंद्र सरकार के वित्तीय घाटे को पाटने में मदद करने के लिए करदाताओं को उच्च दरों की ही संभावना है।
एक और पहलू है जिसमें 31 जनवरी, 2022 से 14 फरवरी, 2022 तक के बजट सत्र के दौरान कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं, वह है पीएसयू का विनिवेश। इसने विनिवेश पर अब तक धीमी प्रगति देखी है, जिसे सरकार बदलना चाहती है, खासकर अपनी सुधार साख को जारी रखने के लिए।
निर्यात:
कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि भारत उन एशियाई देशों को पीछे छोड़ सकता है जिन्होंने निर्यात पर ध्यान केंद्रित किया है और उनसे लाभ प्राप्त किया है। 2022 के बजट सत्र में विनिर्माण क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक निर्यात रणनीति की शुरुआत हो सकती है। रियल एस्टेट क्षेत्र में भी करों में कुछ छूट देखने को मिल सकती है और एफडीआई प्रवाह में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है।
इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज को लेकर कानून बनाए जाने की संभावना है। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर खास कानून नहीं हैं, लेकिन इससे आगामी बजट में अच्छी खासी टैक्स वसूली पर सरकार जोर दे सकती है। माना जा रहा है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक खास कमाई के बाद टीडीएस लगा सकती है और साथ ही ऐसी कंपनियों पर ट्रेडिंग से हुए लाभ पर टैक्स की शुरुआत कर सकती है। इन सब अटकलों के बीच, क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स टैक्स में स्पष्टता की मांग कर रहे हैं, जो कि क्रिप्टोकरेंसी बिल का महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
2021 की तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी और इस वर्ष के लिए अनुमानित वृद्धि 9.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। वित्त मंत्रालय संसद में बजट पेश करने से पहले इन नंबरों को जरूर ध्यान में रखेगा। सरकार नहीं चाहेगी कि पिछले साल की तरह इस साल भी अर्थव्यवस्था में नरमी आए।
यह भी पढ़ें: केंद्रीय बजट 2021-22 की मुख्य बातें
पिछले साल महामारी के कारण तेज गिरावट के बाद अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक वार्षिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रह सकती है।
महामारी के बाद मध्यम से लंबी अवधि में 7 से 8 प्रतिशत (या इससे भी अधिक) की स्थिर वृद्धि के रुझान को जारी रखने के लिए विकास, निजीकरण, सुधारों और रोजगार पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसलिए, सभी की निगाहें वित्त मंत्री द्वारा 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले आम बजट पर है।
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1 फरवरी को संसद में पेश होने वाले आगामी बजट को लेकर अटकलें तेज हैं। वेतनभोगी वर्ग को कर राहत की उम्मीद है, स्टार्ट-अप अनुकूल नीतियों की तलाश में हैं, तो बड़े कारोबारियों को सुधारों की उम्मीद है।
कोविड-19 का डर अभी भी मंडरा रहा है और विश्व अर्थव्यवस्था के विकास के लिए खतरा बना हुआ है। सवाल है कि क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन चुनौतियों से निपटने का उपाय करेंगी? किन सेक्टरों को मिलेगा बढ़ावा और किनको नहीं? बजट 2022 के लिए कुछ उम्मीदों और संभावनाओं पर एक नजर।
स्वास्थ्य देखभाल:
महामारी अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। इसलिये स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को कुछ रियायतें और राहत मिलने की संभावना है। जानकारों को उम्मीद है कि स्वास्थ्य सेवा के लिए सरकार के बजट आवंटन में वृद्धि हो सकती है। चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार में निवेश को बढ़ावा देने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
कारोबार के साथ-साथ आम व्यक्तियों के लिए भी कर राहत की उम्मीद है। हेल्थकेयर स्टार्ट-अप्स के लिए टैक्स हॉलिडे और प्राइवेट प्लेयर्स के लिए टैक्स ब्रेक उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
वेतनभोगी वर्ग के लिए प्रीमियम छूट में बढ़ोतरी से अधिक लोगों को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
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ग्रामीण भारत:
चुनाव नजदीक है। इसलिये ऐसी नीतियों की घोषणा होने की संभावना है जिससे उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को लाभ हो। युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने और कुशलता बढ़ाने के अवसर प्रदान करने पर ध्यान दिया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, बुनियादी ढांचे और बिजली के लिए अधिक संसाधन आवंटित किये जाने की उम्मीद है। गरीबी उन्मूलन के प्रयास जारी रहेंगे।
पूंजीगत व्यय:
उच्च राजकोषीय घाटे और राज्यों के चुनावों के कारण छूट की संभावना को देखते हुए, सवाल उठाया जा रहा है कि क्या आगामी बजट में पूंजीगत व्यय को कम करने पर ध्यान दिया जा सकता है। हालांकि यह एक अच्छा कदम हो सकता है, लेकिन आर्थिक विकास पर जोर देने की वजह से इसकी संभावना नहीं है। बुनियादी ढांचे, परिवहन और रेलवे सुधार में खर्च पर सरकार की अच्छी वृद्धि जारी रह सकती है।
टैक्स:
टैक्स व्यवस्था को और तर्कसंगत बनाए जाने की अटकलें हैं, जिसके तहत टैक्स की दरों में कुछ संशोधन किया जा सकता है। जानकारों का मानना है कि जनता से टैक्स वसूलने के तरीके में भारी असमानता के कारण इसकी बहुत जरूरत है। लेकिन, केंद्र सरकार के वित्तीय घाटे को पाटने में मदद करने के लिए करदाताओं को उच्च दरों की ही संभावना है।
एक और पहलू है जिसमें 31 जनवरी, 2022 से 14 फरवरी, 2022 तक के बजट सत्र के दौरान कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं, वह है पीएसयू का विनिवेश। इसने विनिवेश पर अब तक धीमी प्रगति देखी है, जिसे सरकार बदलना चाहती है, खासकर अपनी सुधार साख को जारी रखने के लिए।
निर्यात:
कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि भारत उन एशियाई देशों को पीछे छोड़ सकता है जिन्होंने निर्यात पर ध्यान केंद्रित किया है और उनसे लाभ प्राप्त किया है। 2022 के बजट सत्र में विनिर्माण क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक निर्यात रणनीति की शुरुआत हो सकती है। रियल एस्टेट क्षेत्र में भी करों में कुछ छूट देखने को मिल सकती है और एफडीआई प्रवाह में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है।
इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज को लेकर कानून बनाए जाने की संभावना है। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर खास कानून नहीं हैं, लेकिन इससे आगामी बजट में अच्छी खासी टैक्स वसूली पर सरकार जोर दे सकती है। माना जा रहा है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक खास कमाई के बाद टीडीएस लगा सकती है और साथ ही ऐसी कंपनियों पर ट्रेडिंग से हुए लाभ पर टैक्स की शुरुआत कर सकती है। इन सब अटकलों के बीच, क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स टैक्स में स्पष्टता की मांग कर रहे हैं, जो कि क्रिप्टोकरेंसी बिल का महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
2021 की तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी और इस वर्ष के लिए अनुमानित वृद्धि 9.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। वित्त मंत्रालय संसद में बजट पेश करने से पहले इन नंबरों को जरूर ध्यान में रखेगा। सरकार नहीं चाहेगी कि पिछले साल की तरह इस साल भी अर्थव्यवस्था में नरमी आए।
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पिछले साल महामारी के कारण तेज गिरावट के बाद अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक वार्षिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रह सकती है।
महामारी के बाद मध्यम से लंबी अवधि में 7 से 8 प्रतिशत (या इससे भी अधिक) की स्थिर वृद्धि के रुझान को जारी रखने के लिए विकास, निजीकरण, सुधारों और रोजगार पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसलिए, सभी की निगाहें वित्त मंत्री द्वारा 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले आम बजट पर है।
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