Here's what I did when I started my business

अपना कारोबार शुरू करने का सपना काफी लुभावना होता है। लेकिन, कारोबार शुरू करने के पहले आपको कुछ मुद्दों को निपटाना होगा।

अपना कारोबार शुरू करने से पहले मैंने ये किया

मुझे खाना बनाने का शौक हमेशा से ही था और मेरे व्यंजन काफी लजीज बनते थे। मेरे मित्र और रिश्तेदार मेरे खाने की तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते थे और एक दोस्त ने मुझे छोटा सा कैफे खोलने का भी आग्रह किया। कैफे शुरू करने का विचार काफी लुभावना था, आखिर कौन अपने शौक को कामयाब कारोबार में नहीं बदलना चाहेगा। 

इसलिए, मैंने इंटरनेट पर अपना कैफे शुरू करने को लेकर छानबीन करना शुरू कर दिया। मैंने अपने उन रिश्तेदारों और दूसरे लोगों से बातचीत करनी शुरू की, जिन्हें कारोबार चलाने का कुछ तजुर्बा था। ये प्रक्रिया काफी चुनौती भरी थी, लेकिन मेरे सपनों ने मुझे हार नहीं मानने दिया। मैंने अपना कारोबार चालू करने के लिए ये करना शुरू कर दिया: 

पहला कदम: कैफे के नाम का रजिस्ट्रेशन
कानूनी तौर पर काम करने के लिए किसी भी कारोबार का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। इसलिए, मैंने सबसे पहले कैफे के नाम का चुनाव किया और उसे उपयुक्त सरकारी एजेंसियों के पास रजिस्टर कराया। इस दौरान मुझे पता चला कि काफी कागजी कार्रवाई करनी पड़ेगी। चूंकि मैं खाने से जुड़ा कारोबार शुरू कर रहा था, इसलिए मुझे फूड लाइसेंस, हेल्थ ट्रेड लाइसेंस, फायर सिक्योरिटी सर्टिफिकेट, आदि जुटाने थे। ये लाइसेंस जुटाने के लिए मुझे कई सरकारी एजेंसियों जैसे फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई), नगर निगम के पास जाना पड़ा। 
आपके कारोबार के आधार पर आपको अलग-अलग लाइसेंस लेने होंगे। इसलिए, आप पूरी छानबीन करें और सभी प्रक्रिया सही तरीके से पूरी करें ताकि आपको आगे कोई मुश्किल न हो। 
जरूरी बात: कंपनी का नाम रजिस्टर करते हुए कोशिश करें कि नाम मौलिक हो, किसी और का ना हो और उसका पहले से कोई ट्रेडमार्क भी न हो। अगर आप ऐसे किसी कारोबार में हो जहां ज्यादा प्रतिस्पर्धा नहीं है, तो ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन तुरंत कराना आवश्यक नहीं है, इसे बाद में भी करा सकते हैं। 
रजिस्ट्रेशन का खर्च कई बातों पर निर्भर करता है जैसे स्टांप ड्यूटी, प्रोफेशनल फीस, आदि। आपको रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के लिए कंपनी सेक्रेटरी या चार्टर्ड अकाउंटंट की सेवाओं की जरूरत भी पड़ती है। 

 

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दूसरा कदम: जीएसटी के लिए भी रजिस्टर किया
नए नियमों के मुताबिक, मुझे कैफे के लेनदेन पर सरकार को जीएसटी चुकाना पड़ेगा। इसलिए, मैंने जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी कराया। मैंने कैफे के लिए टैक्स डिडक्शन और कलेक्शन अकाउंट नंबर यानि टैन के लिए भी अर्जी दी। हालांकि, मेरे स्टार्ट अप पर पहले तीन साल तक टैक्स नहीं लगेगा, फिर भी आगे चल कोई परेशानी खड़ी न हो इसलिए मैंने टैक्स से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी कर लीं। 

जरूरी बात: जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए कारोबार के मालिक या साझेदार (अगर है तो) की तस्वीर और साझेदारी वाला कारोबार होने पर करार की कॉपी जरूरी है। इसके अलावा जिन अहम दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी: 

  • बैंक कागजात (पासबुक, बैंक स्टेटमेंट या कैंसिल किया हुआ चेक जिसपर नां, बैंक अकाउंट नंबर, आईएफएससी, एमआईसीआर और ब्रांच की जानकारी हो)
  • निजी संपत्ति होने पर बिजली का बिल, टैक्स रसीद या रजिस्ट्रेशन के कागजात
  • खुद के नाम पर किराए पर जगह लिए जाने पर करारनामे की कॉपी
  • अगर जगह न आपके नाम पर है और न ही भाड़े पर है तो एनओसी (नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट) और बिजली का बिल

तीसरा कदम: पूंजी की जरूरत का अनुमान लगाया

किसी भी कारोबार को शुरू करने में पैसे लगते हैं। इसलिए मैंने लगने वाली पूंजी का अनुमान लगाना शुरू किया। सबसे पहले मैंने सालों से अलग रखे बचत के पैसों का हिसाब लगाया। इसके अलावा मुझे इन बातों पर ध्यान देना था: 

  • कैफे के लिए उपयुक्त जगह और उसे भाड़े पर लेने की लागत
  • जरूरी उपकरण और उसपर होने वाला खर्च
  • मासिक किराया, बिजली का बिल जैसे नियत खर्च
  • कच्चा माल खरीदने और कर्मचारियों के वेतन के लिए लगने वाली पूंजी

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मैंने इन खर्चों को जोड़ा और पता किया कि मेरी बचत से कितना खर्च पूरा किया जा सकता है और बाकी खर्चों के लिए कितनी रकम उधार लेनी पड़ेगी। आखिरकार, शुरुआती दौर में कारोबार से मिलने वाली आय खर्च चलाने के लिए पूरी नहीं पड़ने की संभावना है। पूंजी जुटाने के लिए मैंने इन विकल्पों पर विचार किया-

  • अपनी बचत
  • कारोबारी कर्ज
  • परिवारजनों या दोस्तों से कर्ज
  • वेंचर कैपिटल

मेरी गणना के मुताबिक बचत की रकम से कुल खर्चों का करीब 20 फीसदी हिस्सा पूरा हो पा रहा था। मैंने परिवारजनों या दोस्तों से पैसे उधार लेने के बजाय कारोबारी कर्ज लेने का फैसला किया। कारोबार शुरू करने से पहले पूंजी की दिक्कतों को ध्यान में रखना जरूरी है। अगर आप योजना बनाकर चलते हैं तो आपको पैसे जुटाने में परेशानी नहीं होगी।

जरूरी सलाह: वर्किंग कैपिटल लोन से रोजमर्रा का खर्चा पूरा किया जा सकता है और इससे छोटे कारोबारों को पूंजी जमा करने में मदद मिलती है। भारत में वर्किंग कैपिटल लोन की अवधि 6 से 12 महीने होती है और इसपर 11-16 फीसदी ब्याज लगता है।
वर्किंग कैपिटल लोन के कई फायदे हैं। जैसे, अगर आपका क्रेडिट रिकॉर्ड अच्छा है तो आपको कलैटरल सिक्योरिटी के बिना ही कर्ज मिल सकता है।

भारत में स्टार्ट अप्स से जुड़े तथ्य

  • दुनिया में स्टार्ट अप्स के आधार भारत का तीसरा नंबर
  • हर रोज 3-4 नए स्टार्ट अप्स जुड़ते हैं
  • 65% से ज्यादा स्टार्ट अप्स बंगलुरु, मुंबई और दिल्ली में स्थित
  • 2015 में स्टार्ट अप्स की कुल फंडिंग 5 अरब डॉलर थी
  • ज्यादातर फाउंडर्स की आयु 35 वर्ष से कम
  • स्टार्ट अप्स का औसत मूल्यांकन 25-27 लाख डॉलर
  • स्टार्ट अप्स में करीब 80,000-85,000 लोग काम करते हैं

चौथा कदम: मैंने कारोबार का प्रस्ताव तैयार किया और कर्ज के लिए अर्जी दी
मुझे मालूम था कि कारोबारी कर्ज के लिए अर्जी देते वक्त लेनदार कारोबार के प्रस्ताव के बारे में पूछेंगे। इसलिए, मैंने अपने कैफे के लिए प्रस्ताव तैयार किया जिसमें जगह, अनुमानित खर्चा, वर्तमान संपत्ति और आय पूर्वानुमान को शामिल किया। अगला कदम था कारोबारी कर्ज के लिए अर्जी देना, जिसके लिए मैंने जरूरी कलैटरल सिक्योरिटी तैयार की। इसके बाद मैंने अलग-अलग लेनदारों से कर्ज के लिए बातचीत की। जब मुझे योग्य लेनदार मिल गया, मैंने जरूरी कागजात जमा करके कर्ज के लिए अर्जी देने की औपचारिकताएं पूरी कर दीं। 
जरूरी सलाह: कई बैंक स्टार्ट-अप्स को कर्ज देने के लिए तैयार होते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि के कर्ज मिलना कई बातों पर निर्भर करता है जैसे प्रस्तावित कारोबारी मॉडल, प्रोमोटर का तजुर्बा और कलैटरल सिक्योरिटी। 
सीजीटीएमएसई यानि क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइसेज जैसी भी कई स्कीम हैं, जिनके तहत कलैटरल सिक्योरिटी के बिना बैंक से कर्ज मिल सकता है। लेकिन, इसके लिए प्रस्तावित कारोबारी मॉडल और प्रोमोटर का अनुभव काफी ठोस और विश्वसनीय होना चाहिए। 

पांचवा कदम: मैंने जगह खरीदी, कर्मचारियों को नियुक्त किया और कैफे शुरू किया
पूंजी मिलने के बाद मैंने जगह लीज पर ली, जरूरी उपकरण खरीदे और कुछ कर्मचारियों को नियुक्त किया। चूंकि मुझे अनुमान से थोड़ा ज्यादा कर्ज मिला था, इसलिए मैंने अतिरिक्त पूंजी का इस्तेमाल कैफे के रोजमर्रा खर्चों पर किया। आखिरकार मेरा कैफे शुरू करने का सपना पूरा हो गया।

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जरूरी सलाह: आप किस तरह अपने छोटे कारोबार के कैश फ्लो पर ध्यान देते हैं, इसपर आपके कारोबार की कामयाबी निर्भर करती है। इसलिए, आपको कारोबार की आय और खर्चों पर पैनी नजर बनाए रखनी होगी। जैसे, वेतन का खर्च आपके कुल बिक्री का करीब 25-35 फीसदी ही होना चाहिए। 
किसी भी कारोबार को शुरू करने में काफी मेहनत की जरूरत पड़ती है। इसके आपको अपने खर्चों में कटौती भी करनी पड़ सकती है और जब आपका सपना पूरा होगा तब आपको इसका महत्व पता चलेगा। पर्याप्त शोध, अनुशासित खर्च और नियमों का पालन करने से आप वैध और सफल कारोबार स्थापित कर पाएंगे। 

संवादपत्र

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