Budget 2019 makes bank deposits and realty investments shine again

अंतरिम बजट 2019 ने सभी सामाजिक आर्थिक वर्ग के करदाताओं को खुशियां भरी सौगातें दी हैं।

बजट 2019 ने बैंक डिपॉजिट और रियल एस्‍टेट में निवेश को फिर बनाया आकर्षक

अंतरिम बजट 2019 पेश करते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने जिन निवेश प्रोत्साहनों की घोषणा की है, उनसे निवेश के पुराने विकल्‍प जैसे बैंक डिपॉजिट और रियल एस्टेट के एक बार फिर से लाभप्रद होने की उम्मीद है।

बजट में बैंकों या डाकघरों में फिक्‍स डिपॉजिट, सेविंग अकाउंट और अन्य डिपॉजिट स्‍कीम पर अर्जित ब्याज पर स्रोत पर टैक्‍स कटौती (टीडीएस) की सीमा में वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है। वित्‍तीय वर्ष के लिए लिमिट को चार गुना बढ़ाकर 10000 रुपए से 40000 रुपए कर दिया गया है। वहीं वरिष्‍ठ नागरिकों को प्राप्‍त ब्‍याज आय के लिए यह सीमा बढ़ाकर 50000 रुपए कर दी गई है। 

2018 तक देश के विभिन्‍न बैंकों में 2.75 लाख के औसत अकाउंट बैलेंस के साथ, अनुमानत: 24 करोड़ रुपए की राशि टर्म डिपॉजिट के रूप में जमा थी। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, टीडीएस सीमा में प्रस्तावित वृद्धि के साथ, बैंकों को फिक्‍स डिपॉजिट में वृद्धि दिखाई दे सकती है। 

करदाताओं के लिए, नए प्रस्ताव का मतलब है कि 40,000 रुपये तक की ब्याज आय से कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा। हालांकि, मौजूदा कर कानूनों के मुताबिक ब्याज आय अभी भी व्‍यक्तिगत करदाताओं के मामले में कर योग्य होगी।

इससे पहले, करदाता के लिए यह अनिवार्य था कि ब्याज आय 10,000 रुपये से अधिक होने की स्थिति में टीडीएस से बचने के लिए फॉर्म 15G जमा करे। यदि वे इसे जमा करने से चूक गए, तो 10,000 रुपये से अधिक के ब्याज पर वे टीडीएस अदा करने के लिए उत्तरदायी होते थे। इस परिदृश्य में, कर योग्य सीमा से आय कम होने की स्थिति में, उस व्यक्ति को टीडीएस रिफंड का दावा करना होगा। नवीनतम प्रस्ताव छोटे जमाकर्ताओं और गैर-कामकाजी जीवनसाथी को राहत प्रदान करता है। 

40,000 रुपये की उच्च सीमा का मतलब है कि बैंक एफडी और पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट स्कीम से किसी व्यक्ति की ब्याज आय इस सीमा को पार करने तक टीडीएस नहीं काटा जाएगा।
इसके अलावा, बजट में किराये की आय पर भुगतान किए गए टीडीएस की सीमा को बढ़ाकर 1.8 लाख रुपये से 2.4 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है, जो छोटे करदाताओं को राहत प्रदान कर सकता है।

रियल एस्‍टेट निवेश में होगी बढ़ोत्‍तरी 

रियल एस्टेट क्षेत्र में प्रस्तावित बदलाव निवेशकों के एक निश्चित वर्ग के लिए इस एसेट क्‍लास को आकर्षक बना सकते हैं। लंबी अवधि में, बढ़ते मध्यम वर्ग, संभावित उच्च आय के स्तर और तेजी से शहरीकरण के चलते, रियल एस्टेट से बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद है।

अब धारा 54 के तहत 2 करोड़ रुपये तक की अचल संपत्ति की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ को दो अलग-अलग रियल एस्‍टेट एसेट्स में पुनर्निवेश किया जा सकता है। किसी भी एसेसी को केवल एक बार इस प्रावधान की अनुमति होती है; हालांकि, यह विभिन्‍न प्रॉपर्टी और स्थानों में आकर्षक रियल एस्‍टेट विकल्पों में लाभ को निवेश करने का अवसर प्रदान करता है, जो मालिकों/निवेशकों को निवेश पोर्टफोलियो में जोखिम और निवेश में विविधता लाने का अवसर प्रदान करता है।

इसके अतिरिक्‍त, स्‍व-स्‍वामित्‍व वाली प्रॉपर्टी के ‘नोशनल रेंट’ पर लगने वाला टैक्‍स कई घरों के मालिकों पर अब लागू नहीं होगा। इससे ऐसे घर मालिकों और परिवारों की कर देयता कम हो जाएगी जो अलग-अलग स्थानों में रहते हैं।

इसी तरह, अनसोल्ड रियल एस्टेट इन्वेंट्री के नोशनल रेंट पर टैक्स में छूट मिलेगी। यह छूट, जिस साल प्रोजेक्‍ट पूरा हुआ है उस साल के अंत से दो साल तक मिलती है। इससे डेवलपर्स को कुछ राहत जरूर मिलेगी।

फिलहाल नए घर की खरीद पर जीएसटी की दर मौजूदा 12% से घटाकर 8% करने के लिए बातचीत चल रही है, यह पहली बार घर खरीदने वालों के लिए निवेश को थोड़ा अधिक किफायती बना देगा। यह पुनर्विक्रेताओं और कई संपत्तियों के मालिकों को अपने फंड को बेहतर तरीके से निवेश करने, टैक्स बचाने और बेहतर लाभ हासिल करने की सुविधा प्रदान करेगा। यहां 2019 में रियल एस्‍टेट की खरीदारी के लिए एक्‍सपर्ट्स गाइड दी गई है।  
 

संवादपत्र

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