म्यूचुअल फंड के डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान में अंतर? जानें किसमें मिलेगा बेहतर रिटर्न्स

म्युचुअल फंड एसआईपी में निवेश करने के लिए डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के बीच प्रमुख अंतरों को समझ कर निवेश करें।

म्युचुअल फंड एसआईपी के डायरेक्ट प्लान
  • म्युचुअल फंड एसआईपी पर अधिकतम रिटर्न पाने के तरीके।
  • डायरेक्ट और रेगुलर प्लान के रिटर्न में एक्सपेंस रेशियो की भूमिका।
  • डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान में मुख्य अंतरों को समझने के लिए चार्ट।

म्युचुअल फंड एसआईपी में निवेश, धन बढ़ाने और वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक लोकप्रिय तरीका है। हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले, डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के बीच के अंतर को समझना आवश्यक है, क्योंकि निवेश के लिए गलत योजना चुनने से संभावित रिटर्न से हाथ धोना पड़ सकता है? डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के बीच चुनाव आपके पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। इस लेख में डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के बीच मुख्य अंतरों पर नजर डालेंगे और जानेंगे कि आपके म्युचुअल फंड एसआईपी निवेश के लिए कौन सा प्लान सही हो सकता है। 

म्यूचुअल फंड के डायरेक्ट प्लान क्या हैं?

डायरेक्ट प्लान एक प्रकार का म्यूचुअल फंड प्लान है जिसे आप सीधे म्यूचुअल फंड कंपनी से खरीदते हैं। इसमें कोई मध्यस्थ जैसे ब्रोकर या वित्तीय सलाहकार शामिल नहीं होता, इसलिए कोई मध्यस्थ कमीशन नहीं लगता है।

म्यूचुअल फंड के डायरेक्ट प्लान की मुख्य बातें:

1. डायरेक्ट प्लान में कोई एजेंट या ब्रोकर शुल्क शामिल नहीं होता है। 

2. डायरेक्ट प्लान का विकल्प चुनने से उसी फंड के रेगुलर प्लान की तुलना में उनके कम एक्सपेंस रेशियो के कारण अधिक रिटर्न मिल सकता है।

3. डायरेक्ट प्लान का शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) आम तौर पर नियमित प्लान की तुलना में अधिक होता है, जो निवेशकों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है।

4. सीधे म्युचुअल फंड में निवेश करने से गलत सलाहकारों द्वारा गुमराह होने का जोखिम भी समाप्त हो जाता है, जिससे निवेशक विश्वास के साथ म्युचुअल फंड एसआईपी में निवेश कर सकते हैं। 

यह भी पढ़ें: म्यूचुअल फंड में एक्सपेंस रेश्यो कैसे आपके रिटर्न को कम कर सकता है? 

म्यूचुअल फंड के रेगुलर प्लान क्या हैं?

रेगुलर प्लान एक प्रकार की म्युचुअल फंड योजना है जिसे आप किसी मध्यस्थ, जैसे ब्रोकर या वित्तीय सलाहकार के माध्यम से खरीदते हैं। मध्यस्थ आपको फंड बेचने के लिए एक कमीशन लेता है। 

म्यूचुअल फंड के रेगुलर प्लान की मुख्य बातें:

1. मध्यस्थ म्यूचुअल फंड के रेगुलर प्लान के प्रबंधन के लिए शुल्क लेते हैं, जिसे आपके कुल निवेश से काट लिया जाता है। 

2. मध्यस्थ शुल्क फंड के एक्सपेंस रेशियो में शामिल होता है, जिसके परिणामस्वरूप कम रिटर्न होना संभव है।

3. रेगुलर प्लान में तुलनात्मक रूप से खर्च का अनुपात अधिक होता है जिसके कारण रिटर्न मिलने में समय लग सकता है।

4. डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के एक्सपेंस रेशियो के बीच का अंतर 0.8% से 1.6% तक या कभी-कभी इससे भी अधिक हो सकता है।

डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान में अंतर

म्यूचुअल फंड डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान के बीच मुख्य अंतरों के लिए तुलना चार्ट:

डायरेक्ट प्लान और रेगुलर प्लान में अंतर

म्युचुअल फंड योजना का चयन 

डायरेक्ट प्लान या रेगुलर प्लान में कौन सा प्लान बेहतर है, यह एक व्यक्तिगत फैसला होता है। देखा जाए तो इसका कोई एक सही या गलत उत्तर नहीं है, और आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। 

यह भी पढ़ें: इन म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना रह सकता है फायदेमंद

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