Adani-Hindenburg Case: अडानी मामले की जांच करने वाली समिति पर उठे सवाल, नई कमेटी बनाने को लेकर याचिका दायर

Adani-Hindenburg Case: हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई जांच कमेटी पर सवाल उठ रहे हैं। याचिकाकर्ता ने तर्क के साथ बताया कि ये कमेटी क्यों बदलनी चाहिए।

Adani-Hindenburg Case

Adani-Hindenburg Case: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक ने शीर्ष अदालत द्वारा गठित छह सदस्यीय पैनल में से तीन के हितों के टकराव का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता ने अडानी ग्रुप के खिलाफ कानूनों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए विशेषज्ञों के पैनल का पुनर्गठन करने का अनुरोध किया है। 

सोमवार को याचिकाकर्ता अनामिका जयसवाल ने दायर याचिका में कहा कि विशेषज्ञ पैनल में ओपी भट्ट (भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष), केवी कामथ ( बैंकर) और वरिष्ठ वकील सोमशेखर सुंदरेसन को शामिल करना उचित नहीं है, क्योंकि उनके हितों के टकराव की संभावना है। याचिका के मुताबिक भट्ट वर्तमान में एक प्रमुख रिनुएबल एनर्जी कंपनी ग्रीनको के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं, जो भारत में अडानी ग्रुप के लिए मार्च 2022 से पार्टनरशिप में काम कर रही है।

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याचिकाकर्ता ने ये भी कहा है कि भट्ट से मार्च 2018 में पूर्व शराब कारोबारी और भगोड़े विजय माल्या को लोन देने में कथित गड़बड़ी के मामले में सीबीआई द्वारा पूछताछ की गई थी। माल्या पर एसबीआई समेत अन्य बैंकों से 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर की धोखाधड़ी का आरोप है। भट्ट ने 2006 और 2011 के बीच एसबीआई अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था, ये वो समय था जब विजय माल्या की अधिकांश कंपनियों को लोन दिया गया। याचिकाकर्ता के तर्क दिया है कि भट्ट को इन तथ्यों के बारे में शीर्ष अदालत को खुद ही सूचित करना चाहिए था।

याचिकाकर्ता ने 1996 से 2009 तक आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष रहे केवी कामथ के बारे में भी दलील दी है। उन्होंने कहा कि उनका नाम आईसीआईसीआई बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई की एफआईआर में आया था। इस मामले में बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है।

सीबीआई का आरोप है कि कोचर और उनके परिवार को वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए लोन के बदले रिश्वत मिलीं, जो लोन बाद में एनपीए में बदल गया। याचिकाकर्ता के मुताबिक जब उनमें से कुछ लोन अप्रूव किए गए तब कामथ बैंक के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष थे और उस समिति के सदस्य थे जिसने लोन देना स्वीकार किया। याचिकाकर्ता ने ये भी दावा किया है कि वरिष्ठ वकील सुंदरेसन, सेबी बोर्ड सहित विभिन्न निकायों के समक्ष अडानी ग्रुप का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रहे हैं।

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जयसवाल ने सेबी बोर्ड द्वारा पारित 2007 का एक आदेश याचिका के साथ अटैच किया है जिसमें सुंदरेसन को अडानी ग्रुप के लिए कोर्ट में अपियर होते दिखाया गया है।

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