Unacademy Controversy: अनएकेडमी को भारी पड़ रहा करण सांगवान विवाद, 24 घंटे में एक लाख लोगों ने अनइंस्टाल किया ऐप

Unacademy Controversy: शिक्षित नेताओं को वोट देने की अपील के चलते अनएकेडमी के प्रोफेसर की नौकरी का विवाद बढ़ता जा रहा है। 24 घंटे में 1 लाख लोगों ने अनएकेडमी का ऐप अनइंस्टाल कर दिया है।

Unacademy Controversy

Unacademy Controversy: शिक्षित नेताओं को वोट देने की अपील के चलते अनएकेडमी के प्रोफेसर की नौकरी का विवाद बढ़ता जा रहा है। 24 घंटे में 1 लाख लोगों ने अनएकेडमी का ऐप अनइंस्टाल कर दिया है।

Unacademy Controversy: ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म अनएकेडमी इन दिनों विवादों में है। वजह एक टीचर ने अपने वीडियो में शिक्षित नेताओं को वोट देने का आग्रह किया। अनएकेडमी ने उसे कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन बताते हुए उस टीचर करण सांगवान को निकाल दिया। इस खबर के सामने आने के बाद से 24 घंटे के भीतर अनएकेडमी ऐप को एक लाख यूजर्स ने अनइंस्टॉल कर दिया। सोशल मीडिया पर अनएकेडमी को बॉयकाट करने का ट्रेंड चल रहा है। कई राजनीतिक सगंठनों ने भी अनएकेडमी के इस कदम की आलोचना की है। इस कदम के पक्ष और विपक्ष दोनों में लोग बात कर रहे हैं। सरकार समर्थित लोग करण सांगवान की इस टिप्पणी को सरकार विरोधी बता रहे हैं जबकि करण सांगवान का समर्थन कर रहे लोग इसे सामान्य सी बात कह रहे हैं।

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इस मामले को लेकर अनएकेडमी का भी बयान सामने आया है। अनएकेडमी के सह संस्थापक करण सैनी ने गुरुवार रात ट्वीट करके कहा कि कक्षा व्यक्तिगत राय रखने और विचार साझा करने की जगह नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा हालात में हमें करण सांगवान को अलग करने का फैसला लेना पड़ा क्योंकि वह आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे थे। इस मामले ने गहरा राजनीतिक रंग ले लिया है। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पीएम मोदी के साथ अनएकेडमी के संस्थापक गौरव मुंजाल की सेल्फी वाली तस्वीर शेयर करते हुए उनसे इस कदम को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।


शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी अनएकेडमी से पूछा है कि साक्षर नेताओं को वोट दें कहना पक्षपातपूर्ण राय कैसे है? उन्होंने कहा कि ये बयान क्या युवाओं के दिमाग में सकारात्मक प्रभाव नहीं डालती? शर्म की बात है कि इस विचार की वजह से किसी को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने भी इस बारे में कहा कि अगर कोई शिक्षक स्वतंत्र रूप से पढ़ा या सीख नहीं सकता तो चाहे वो अनएकेडमी हो या अशोक यूनिवर्सिटी विचारों का बाजार नहीं है बल्कि ज्ञान के क्षेत्र में सरकार द्वारा दिया गया ठेका है।
 

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