- Date : 22/07/2023
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भारत सरकार ने क्रेडिट कार्ड से विदेशी खर्च पर टीसीएस 20% तक बढ़ाने का प्रावधान 1 अक्टूबर, 2023 तक के लिए टाल दिया है।

- क्रेडिट कार्ड से विदेशी खर्च पर पर 20% टीसीएस लगाने का प्रस्ताव।
- विदेश में खर्च पर टैक्स: क्या है आरबीआई लेटेस्ट न्यूज?
- टीसीएस वर्सेज टीडीएस: विदेशी खर्च पर कौन सा टैक्स लगेगा?
- TCS on foreign expense: वो जरूरी बातें जो आपको जाननी चाहिए।
TCS on Credit Card: क्रेडिट कार्ड लेनदेन के तहत विदेशी खर्च पर टीसीएस यानि स्रोत पर कर संग्रह पर विवाद ने करदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। 1 जुलाई से लागू होने वाले इस टैक्स को फिलहाल टाल दिया गया है, लेकिन इसका कार्यान्वयन 1 अक्टूबर से निर्धारित है। इस कर योजना ने कई सवाल उठाए हैं, जिसके कारण वित्त मंत्रालय को स्पष्टीकरण देना पड़ा है।
विदेशी खर्च पर टीसीएस
अगर 1 अक्टूबर, 2023 से अगर आप भारत में बैठकर विदेशी वेबसाइटों पर 7 लाख रुपये से अधिक की खरीदारी करने के लिए अपने कार्ड का उपयोग करते हैं, तो आपको 20 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा। तब तक पुराने नियम के तहत पांच फीसदी टैक्स लगेगा।
बिना यह निर्दिष्ट किए कि इसे भविष्य में कब शामिल किया जाएगा, एलआरएस के तहत विदेश में क्रेडिट कार्ड खर्चों को शामिल करने को 1 जुलाई के कार्यान्वयन से ठीक पहले स्थगित कर दिया गया।
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एलआरएस स्कीम क्या है?
आम नागरिकों के पास अपना पैसा विदेश भेजने के कई कारण होते हैं, और यह रिज़र्व बैंक की उदारीकृत प्रेषण योजना यानि लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के ढांचे के भीतर किया जा सकता है।
एलआरएस के तहत, एक नागरिक आरबीआई की अनुमति के बिना सालाना 2,50,000 अमेरिकी डॉलर यानि लगभग 2.06 करोड़ रुपये तक विदेश भेज सकते हैं। इस राशि का उपयोग यात्रा, शिक्षा, चिकित्सा व्यय, निवेश और बहुत कुछ के लिए किया जा सकता है। इस सीमा से अधिक रकम होने पर रिजर्व बैंक की अनुमति जरूरी है। वर्तमान में, ऐसी चिंताएँ हैं कि सरकार का लक्ष्य कर बढ़ाकर अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिकी डॉलर की सीमा को कम करना है।
विदेशी खर्च पर टैक्स: टीसीएस या टीडीएस (TCS vs TDS)
2023 के बजट में एलआरएस और विदेशी टूर पैकेज से जुड़े लेनदेन पर 20 फीसदी तक टैक्स लगाने का फैसला किया गया, जो कि पहले पांच फीसदी था। इसके अतिरिक्त, यह प्रस्तावित किया गया था कि सात लाख की सीमा से अधिक के शिक्षा ऋण पर 0.5 प्रतिशत टीसीएस लागू होगा, जबकि गैर-ऋण शैक्षिक व्यय और चिकित्सा उपचार पर पांच प्रतिशत कर लगाया जाएगा। अन्य सभी उद्देश्यों के लिए 20 प्रतिशत कर लगाया जाएगा।
टीडीएस और टीसीएस का उद्देश्य करदाताओं से पहले ही टैक्स एकत्र करना है, ताकि सरकार को राजस्व का निरंतर प्रवाह मिल सके। हालांकि टीडीएस और टीसीएस में मूल अंतर है।
टीडीएस का मतलब स्रोत पर कर कटौती है। यह एक ऐसी प्रणाली है जहां वेतन, ब्याज, किराया या कमीशन जैसी आय का भुगतान करने वाले को निर्धारित दर पर टैक्स काटने और सरकार को भेजने की आवश्यकता होती है। जबकि टीसीएस का मतलब स्रोत पर एकत्रित कर है। यह एक ऐसी प्रणाली है जहां कुछ खास वस्तुओं के विक्रेता को खरीदार से निर्धारित दर पर टैक्स लेकर सरकार को भेजना होता है।
यहाँ यह ध्यान रखना जरूरी है कि विदेश में खरीदारी पर टीसीएस लगता है न कि टीडीएस। विदेश में खर्च पर टैक्स, टीसीएस यानि स्रोत पर एकत्रित कर के दायरे में आता है।
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